Vaidik Dharm Evam Shraman Parampara

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Vaidik Dharm Evam Shraman Parampara
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वैदिक धर्म एवं श्रमण परम्परा में प्रवृत्ति एवं निवृत्तिमूलक धर्म के कालगत प्रवाह व प्रभाव का समालोचनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है जो विश्वविद्यालय स्तर पर स्नातकोत्तर के छात्रों का मार्गदर्शन कराने में सर्वथा उपयोगी है। पुस्तक में साहित्यिक व पुरातात्त्विक साक्ष्यों का यथास्थान उपयोग, तथ्य एवं चिन्तन का सन्निवेश, शोधपरक दृष्टि का समावेश और संस्कृतनिष्ठ भाषा का निर्वहन है।

इस पुस्तक का उद्देश्य ताम्राश्म काल (ई.पू. तृतीय सहस्त्राब्दी) से लेकर 12वीं, 13वीं शती ईस्वी सन् अर्थात् पूर्वमध्यकाल तक हुए धर्म-दर्शन के विकास का कालक्रमानुसार विवेचन है।

प्रामाणिक इतिहास हेतु जहाँ एक ओर वैदिक संहिताओं, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद् एवं पुराण साहित्य आदि का आश्रय लिया गया, वहीं दूसरी ओर पुरातात्त्विक सामग्रियों जैसे, मुहरें, मूर्तियाँ, मुद्राएँ एवं भित्ति-चित्रों से प्राप्त सूचनाओं का समावेश किया गया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2021
Edition Year 2021, Ed. 1st
Pages 176p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
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Editorial Review

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Akhand Pratap Singh

Author: Akhand Pratap Singh

अखण्ड प्रताप सिंह

जन्म : 01 जनवरी 1969, आजमगढ़।

शिक्षा : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बी.ए. ऑनर्स (प्रथम श्रेणी), एम.ए. (प्रथम एवं गोल्ड मेडलिस्ट), नेट/जे.आर.एफ. 1993 एवं पीएच.डी.   की उपाधियाँ।

साहित्य-सेवा : प्राचीन भारतीय धर्म-सम्प्रदाय, प्रतिमाशास्त्र, चित्रकला एवं वास्तु आदि कलाओं के विविध आयामों के अध्येता एवं अनुसंधानकर्ता। प्रकाशनाधीन ग्रन्थ ‘गुप्त-वाकाटक युगीन चित्रकला : एक सांस्कृतिक अध्ययन’ एवं ‘मन्दिर वास्तु एवं कला’।

सम्प्रति : 1995-96 से सल्तनत बहादुर पी.जी. कॉलेज, बदलापुर, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर रहते हुए अध्यापन।

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