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भ्रष्टाचार, जिसका विरोध करना भारतीय समाज का सबसे पसन्दीदा शगल है, दरअसल हमारी जीवन-शैली का हिस्सा बन चुका है। हर कोई दूसरे के भ्रष्टाचार से त्रस्त है और सबके पास अपने भ्रष्टाचार के पक्ष में देने के लिए अनेक व्यावहारिक तर्क हैं। जो भ्रष्ट नहीं है और जीवन के हर मोड़, हर क़दम पर सिर्फ़ सिद्धान्त रूप में नहीं, बल्कि व्यवहार में भी उसका विरेाध करता है, उसे अस्वीकार करता है, वह ख़ुद-ब-ख़ुद समाज से निर्वासित महसूस करने लगता है।

इस उपन्यास का नायक मनोहर ऐसा ही व्यक्ति है जो किसी भी रूप में रिश्वत का समर्थन नहीं करता। इसके कारण, उसे न सिर्फ़ अपने दफ़्तर में अपने सवर्ण सहकर्मियों की उपेक्षा, उपहास और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है, बल्कि घर में उसकी पत्नी भी इसी कारण पहले उससे नाराज़ रहने लगती है, और फिर तनाव के चलते बीमार पड़ जाती है।

जयप्रकाश कर्दम ने इस उपन्यास में विस्तार से एक आदर्शवादी युवक के मानसिक और सामाजिक संघर्ष को दर्शाया है। साथ ही आरक्षण और उच्च स्तरों पर व्याप्त भ्रष्टाचार, जाति-व्यवस्था, जाति के आधार पर दफ़्तरी माहौल में फैले भेदभाव आदि को भी बारीकी से उभारा है। सरल, सहज भाषा में बिलकुल आसपास घटित होती दिखनेवाली यह कहानी पाठकों को निश्चय ही पठनीय लगेगी।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 136p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Editorial Review

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Jaiprakash Kardam

Author: Jaiprakash Kardam

जयप्रकाश कर्दम

जन्म : 05 जुलाई, 1958; ग्राम—इन्दरगढ़ी, हापुड़ रोड, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)।

शिक्षा : एम.ए. (दर्शनशास्त्र, हिन्दी, इतिहास), पीएच.डी. (हिन्दी)।

प्रकाशन : ‘गूँगा नहीं था मैं’, ‘तिनका-तिनका आग’, ‘बस्तियों से बाहर’, ‘राहुल’ (कविता-संग्रह); ‘करुणा’, ‘श्मशान का रहस्य’, ‘छप्पर’ (उपन्यास); ‘तलाश’, ‘खरोंच’ (कहानी-संग्रह); ‘जर्मनी में दलित साहित्य : अनुभव और स्मृतियाँ’ (यात्रा-संस्मरण); ‘मेरे संवाद’ (साक्षात्कार); ‘श्रीलाल शुक्ल कृत 'राग दरबारी' का समाजशास्त्रीय अध्ययन’, ‘इक्कीसवीं सदी में दलित आन्दोलन : साहित्य एवं समाज चिन्‍तन’, ‘दलित विमर्श : साहित्य के आईने में’, ‘वर्तमान दलित आन्दोलन : दशा और दिशा’, ‘हिन्दुत्व और दलित : कुछ प्रश्न कुछ विचार’, ‘डॉ. अम्बेडकर, दलित और बौद्धधर्म’, ‘समाज, संस्कृति और दलित’, ‘दलित साहित्य : सामाजिक बदलाव की पटकथा’, ‘दलित कविता : समकालीन परिदृश्य’ (आलोचना और वैचारिक पुस्तकें); ‘चमार’ (ब्रिटिश लेखक जी.डब्ल्यू. ब्रिग्स द्वारा लिखित पुस्तक 'दि चमार्स' का हिन्दी में अनुवाद); ‘मानवता के दूत’, ‘डॉ. अम्बेडकर की कहानी’, ‘बुद्ध की शरणागत नारियाँ’, ‘बुद्ध और उनके प्रिय शिष्य’, ‘महान बौद्ध बालक’, ‘आदिवासी देवकथा—लिंगो’, ‘हमारे वैज्ञानिक : सी.वी. रमन’ (बाल-साहित्य)।

सम्मान : केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार’, हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा ‘विशेष योगदान सम्मान’ सहित अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।

सम्प्रति : निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय।

 

 

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