Uday Ravi

Translator: Bhalchandra Jayshetti
Edition: 2012, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Uday Ravi

‘उदय-रवि’, ‘क्रान्ति-कल्याण’ उपन्यास मालिका का पहला खंड है। कन्नड़ के विशिष्ट रचनाकार बी. पुट्टस्वामय्या मूलतः नाटक लिखने में रुचि लेते थे।...किन्तु नाटक की कई सीमाएँ होती हैं। नाटक-मंडली के अभिनेताओं की संख्या, संवाद कहने में उनकी क्षमता आदि बातों की ओर नाटककार को ध्यान देना पड़ता है। उपन्यास में इस प्रकार की कोई सीमा नहीं होती। इसलिए एक बड़ा कैनवस का उपयोग करके एक बृहत् उपन्यास की रचना करने की पुट्टस्वामय्या ने जो योजना बनाई, उसी का परिणाम ‘उदय-रवि’, ‘राज्यपाल’, ‘कल्याणेश्वर’, ‘नागबन्ध’, ‘अधूरा सपना’ तथा ‘क्रान्ति-कल्याण’ उपन्यासों का सिलसिला रहा। ये छह के छह अलग-अलग उपन्यास भी हैं और सब मिलाकर एक ही उपन्यास भी।

बसवेश्वर के युग के जनजीवन का चित्रण करनेवाले इन उपन्यासों की मालिका समवेत रूप में एक विशेष प्रकार का ऐतिहासिक उपन्यास है। सामाजिक जीवन को व्यक्त करनेवाले इस उपन्यास के लिए अभिलेख तथा लिखित साहित्य से सन्दर्भों को चुन लिया गया है। चौंकानेवाली बात यह थी कि इस उपन्यास लेखन के लिए पुट्टस्वामय्या ने एक हज़ार अभिलेखों का अध्ययन किया था।

‘उदय-रवि’—ई.सं. 1950—में तैलप (तृतीय) के सिंहासनारोहण से लेकर बसवेश्वर के मंत्री बनने तक की घटनाओं का चित्रण है।

सिद्धहस्त लेखक बी. पुट्टस्वामय्या ने प्रांजल भाषा में एक युग को साकार कर दिया है। भालचन्द्र जयशेट्टी का सतर्क अनुवाद उपन्यास को मूल आस्वाद से अभिन्न रखने में समर्थ सिद्ध हुआ है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 192p
Translator Bhalchandra Jayshetti
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Author: B. Puttaswamayya

बी. पुट्टस्वामय्या

जन्म : 24 मई, 1897            

बी. पुट्टस्वामय्या कन्नड़ के विख्यात नाटककार, पत्रकार, उपन्यासकार, शोधकर्ता, इतिहासवेत्ता, संगीत एवं कला के उपासक थे। उनके द्वारा रचित ‘कुरुक्षेत्र’ और ‘दशावतार’ नाटकों के व्यवसायी नाटक मंडलियों द्वारा लगभग ढाई दशक तक लगातार मंचन होते रहे। उन्होंने बीस से भी अधिक नाटक लिखे। कुछ कारणों से उनका मन नाटकों से उचट गया और उपन्यास लेखन की ओर मुड़ गए। इतिहास की समस्याओं को सुलझाने में जिज्ञासा होने के कारण ऐतिहासिक उपन्यासों की रचना में लगे रहे।

कर्नाटक में 12वीं सदी में एक बहुआयामी आन्दोलन छिड़ा था। बसवेश्वर उस आन्दोलन के कर्णधार थे। उसी आन्दोलन को विषयवस्तु बनाकर पुट्टस्वामय्या ने सिलसिलेवार छह उपन्यासों की रचना की—

 ‘उदय-रवि’, ‘राज्यपाल’, ‘कल्याणेश्वर’, ‘नागबन्ध’, ‘अधूरा सपना’ और ‘क्रान्ति-कल्याण’। ‘क्रान्ति-कल्याण’ को 1965 में ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

निधन : 25 जनवरी, 1984

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