Toote Ghonsle Ke Pankh

Translator: Munmun Sarkar
Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Toote Ghonsle Ke Pankh

यह एक महिला की डायरी के शिल्प में लिखा गया उपन्यास है। यह शिल्प इसलिए सही है कि डायरी में ही कोई नौजवान महिला जीवन के अनुभव, अपनी पसन्द-नापसन्द एवं समाज और अपनी निजी प्रतिक्रियाओं को दर्ज करती है। ऐसा लेखन जिस तरह स्वतःस्फूर्त होता है, वैसे ही स्पष्ट भी। यह उपन्यास पाठक को उबाऊ नहीं लगता। लेकिन उपन्यास की सबसे ख़ास बात है—उसके कथ्य और शिल्प का नयापन। नौजवानों की धमनियों में दौड़नेवाले ख़ून की गर्मी का अहसास और उत्साह इस उपन्यास की पंक्ति-पंक्ति में निहित है, जिसे हर पढ़नेवाला अनुभव करेगा।

—अपराजित नायक, (आलोचक)

उपन्यास की मुख्य पात्र दिशा चौधरी को पता चलता है कि ज्योतिरिन्द्र मोइत्रा का देहान्त क़रीब बीस वर्ष पूर्व हो चुका और सत्यजित राय की ‘कंचनजंघा’ का पक्षी-प्रेमी मामा (पहाड़ी सान्याल द्वारा अभिनीत) ज्योतिरिन्द्र मोइत्रा की नक़ल है। यह मैं नहीं जानता था, सो इस उपन्यास से मुझे कवि, गीतकार और संगीतज्ञ ज्योतिरिन्द्र मोइत्रा के बारे में नई जानकारी मिली।

—प्रो. पवित्र सरकार, (आलोचक व शिक्षाविद्)

‘टूटे घोंसले के पंख’ हालाँकि आकार में छोटा है, लेकिन निस्सन्देह इसने बांग्ला लेखन को एक नई शक्ल दी है।

—प्रो. कार्तिक लाहिड़ी, (उपन्यासकार व आलोचक)

‘टूटे घोंसले के पंख’ यह अहसास कराता है कि इसका लेखक एक समर्थ उपन्यासकार है। पुस्तक लेखक के भाव को प्रदर्शित करती है लेकिन यह कभी अतिरिक्त भावुकता की तरफ़ नहीं मुड़ती। मनोवेग और बुद्धि का एक सटीक सम्मिश्रण यह उपन्यास बांग्ला उपन्यास लेखन की मौजूदा शैली से नितान्त भिन्न है।

—आशीष बर्मन, (उपन्यासकार व आलोचक)

आपके उपन्यास को पढ़ते हुए मैं चकित हुआ। विषय का चयन, कथानक के कहने का ढंग, भाषा और दिशा, चौधरी के चरित्र का रूपांकन—सभी कुछ आपकी अनोखी कल्पना और शिल्प की गवाही देते हैं।

—प्रो. शिबनारायोन राय, (आलोचक व सम्पादक)

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2001
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 120p
Translator Munmun Sarkar
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Ram Kumar Mukhopadhyaya

Author: Ram Kumar Mukhopadhyaya

रामकुमार मुखोपाध्याय

जन्म : 8 मार्च, 1956; कोलकाता, प. बंगाल।

शिक्षा : एम.ए. अंग्रेज़ी, कलकत्ता विश्वविद्यालय, पीएच.डी. (जादवपुर विश्वविद्यालय) और पी.जी.सी.टी.ई.।

प्रमुख कृतियाँ : ‘चारोणे प्रान्तोरे’, ‘भंगा नीरेड डाना’, ‘मीछीलेर पारे’ (उपन्यास); ‘मादोले नोतून बोल’, ‘रामकुमार मुखोपाध्याय छोटो गोल्पो’, ‘पोरिक्रोमा’ (परिकल्पना), ‘शंखो’ (कहानी-संग्रह); ‘शताब्दी शेषर गल्पा’, ‘बंगाली संस्कृतिर आयतन’ (निबन्‍ध) आदि।

विशेष : भारत और विदेश में आयोजित कई सेमिनारों एवं संगोष्ठियों में शिरकत।

सम्मान : ‘आनन्‍द पुरस्‍कार’, ‘सोमेनचन्द पुरस्‍कार’, ‘कथा पुरस्‍कार’, ‘बंकिमचन्‍द्र स्मृति पुरस्कार’, ‘शरतचन्‍द्र स्मृति पुरस्कार’, ‘गजेन्‍द्रनाथ मित्रा जन्म शताब्दी पुरस्कार’, ‘सीस पुरस्कार’, ‘डी.एल.रे पुरस्‍कार’, ‘कुसुमांजलि पुरस्कार’, भारतीय भाषा परिषद का ‘कृतित्व समग्र पुरस्कार’ आदि।

साहित्य अकादेमी के क्षेत्रीय कार्यालय कलकत्ता में सचिव रहे हैं।

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