Tao-Te-Chhing

Poetry
Author: Laotse
Translator: Vandana Devendra
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Tao-Te-Chhing
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‘ताओ जिसे परिभाषित किया जा सके, शाश्वत ताओ नहीं।’ यह शब्द संसार के धार्मिक साहित्य में सर्वाधिक लोकप्रिय है। ताओ-ते-छिङ के इक्यासी अध्याय ढाई हज़ार वर्ष पूर्व हमारे समीपवर्ती राष्ट्र, चीनी जनसमूह को सम्बोधित थे। ये इक्यासी अध्याय बाइबल, भागवत गीता, क़ुरान आदि की तरह बहुत-सी भाषाओं में अनूदित हुए हैं। ताओ का मार्ग हमें दिखाता है कि ब्रह्मांड और हमारे अन्तरलोक की ऊर्जाएँ परस्पर कैसे प्रतिबिम्बित होती हैं। धूलिकण के समान तुच्छ होते हुए भी हम उस विराट का भाग हैं। दर्शन के अभाव में जीवनयापन करते हुए हम स्वयं सरल मूल्यों को जटिल बनाकर जीवन-प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करते हैं।

‘ताओ-ते-छिङ’ मनुष्य की आध्यात्मिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, दैनिक-दैहिक स्थिति-परिस्थितियों का सूक्ष्म अध्ययन है। यह मनुष्य की योग्यता के उन स्तरों का आग्रह करता है जो सामान्यतः हमारे बोध का हिस्सा नहीं हैं। यह पुस्तक धार्मिक व सामाजिक कर्मकांडी विलक्षणताओं से उपजी समस्याओं के सरलीकरण की अद्भुत सूक्तियाँ उपलब्ध कराती है, साथ ही वर्तमान में पश्चिमी संस्कृति की देन तर्कमूलक चिन्तन के औचित्य को प्रश्नचिह्नित करते हुए मनुष्य के जीवन की सार्थकता का आह्वान करती है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2009
Edition Year 2009, Ed. 1st
Pages 116p
Translator Vandana Devendra
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1
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Editorial Review

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Laotse

Author: Laotse

लाओत्से

लेखक के विषय में प्रामाणिक ऐतिहासिक सूचनाएँ उपलब्ध नहीं हैं। कुछ किंवदन्तियाँ अवश्य प्रचलित हैं। यह लगभग सर्वमान्य है कि लाओत्से मिथक नहीं वरन् सशरीर थे। उनका जन्म चीन के होयान प्रान्त में ईसा से लगभग छह सौ वर्ष पूर्व हुआ। कथा यह भी कहती है कि कनफ्यूसियस लाओत्से से मिलने आया था। वह लाओत्से की प्रतिभा से अचम्भित और प्रभावित हुआ।

कथा यह भी बताती है कि लाओत्से लोमांग की राजधानी के राजकीय अभिलेखागार का संरक्षक था। सामाजिक मूल्यों के सुज्ञात पतन से क्षुब्ध हो वह समाज को त्याग रेगिस्तान की ओर चले गए। हानकू दर्रे पर उन्हें यिन-शी नामक सीमा रक्षक ने रोका, जो लाओत्से के लौकिक-अलौकिक ज्ञान की ख्याति से परिचित था। यिन-शी ने लाओत्से को अपनी दीक्षा लिपिबद्ध करने के लिए बाध्य किया। परिणामस्वरूप ताओ-ते-छिङ अस्तित्व में आई।

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