यह किताब फ़िल्म बनाने की तकनीक, उसकी बारीकियों और परेशानियों को मज़ेदार क़िस्सों में पिरोकर पाठकों के सामने लाती है, और हम जान पाते हैं कि फ़िल्म बनाने का आइडिया कैसे आता है, कैसे वह कहानी में बदलता है, फिर उसका स्क्रीप्ट में बदलना और आख़िरकार फ़िल्म का तैयार होना। यह किताब इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि यह आज के दौर में सिनेमा बनाने की चुनौतियों और फ़िल्मी दुनिया के बड़े एक्सपोज़र को सही तरह से आत्मसात् कर पाने की क्षमता का भी बख़ूबी बखान करती है।
दरअसल, इस बातचीत को सम्भव बनानेवाला ‘जागरण फ़िल्म फ़ेस्टिवल’ भौगोलिक दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा फ़ेस्टिवल है जो देश के 16 शहरों में आयोजित किया जाता है। यहाँ देश-विदेश के सिनेमा, डॉक्यूमेंट्री और एड फ़िल्में ख़ुद चलकर दर्शकों के सामने आती हैं।
यह किताब सिनेमा को देखने-परखने की ही नहीं, बल्कि उसे जीने की भी कला सिखाती है।
Language | Hindi |
---|---|
Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2016 |
Edition Year | 2024, Ed. 2nd |
Pages | 146p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22.5 X 14.5 X 1.5 |