Surili Bansuri

Author: Arzoo Lakhnavi
Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan - Rekhta Books
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Surili Bansuri
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आरज़ू लखनवी की ये किताब 'सुरीली बाँसुरी', शायरी में उस भाषाई प्रयोग को दोबारा अमल में लाने की सूरत है, जिसमें अरबी, फ़ारसी, तुर्की वग़ैरा बाहरी भाषाओं का एक भी लफ़्ज़ न हो। आरज़ू लखनवी ने इस किताब को आम ज़बान में नहीं बल्कि ज़बान से चुने गए उन लफ़्ज़ों में लिखा है, जिसका नाम ख़ालिस (शुद्ध) उर्दू है। ये नायाब किताब इस बात को साबित करती है कि उर्दू में ग़ज़ल कहने के लिए लुग़त के अलफ़ाज़ और भारी-भरकम बन्दिशों की ज़रुरत नहीं।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 131p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan - Rekhta Books
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Author: Arzoo Lakhnavi

आरज़ू लखनवी 

आरज़ू लखनवी का मूल नाम सैयद अनवर हुसैन था और उनकी पैदाइश 16 फ़रवरी, 1873 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुई। उन्होंने उर्दू ग़ज़ल के इतिहास में एक बिलकुल नया काम करते हुए 'सुरीली बाँसुरी' नामक ग़ज़ल-संग्रह की रचना की जिसमें सिर्फ़ और सिर्फ़ देशज शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। 1942 में वे बॉम्बे गए, जहाँ वे हिन्दी फ़िल्म उद्योग से जुड़े। विभाजन के बाद वो पाकिस्तान चले गए जहाँ वे कराची में रेडियो पाकिस्तान से जुड़े रहे। 17 अप्रैल, 1951 को कराची में उन्होंने आख़िरी साँस ली।

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