Striyan : Parde Se Prajatantra Tak

Author: Dushyant
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Striyan : Parde Se Prajatantra Tak
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समाज और वैचारिक दुनिया में औरत की जगह को लेकर चिन्ता और अध्ययन कोई नया विषय नहीं है। जॉन स्टुअर्ट मिल, मेरी वॉलस्टनक्राफ़्ट से होते हुए सीमोन द बोउवा तक होती हुई यह परम्परा भारत में प्रभा खेतान जैसी चिन्तकों तक आती है। स्त्री-विमर्श विचार के विविध अनुशासनों में अलग-अलग रूप में होता रहा है और हो रहा है, पर अन्तर्धारा एक ही है।

यह पुस्तक स्त्री के विरोधाभासी जीवन की सामाजिक समस्याओं का समग्रता से मूल्यांकन करती है, पारम्परिक स्रोतों के साथ-साथ समाचार-पत्रों एवं साहित्य का प्रचुर मात्रा में उपयोग करते हुए इस पुस्तक की अध्ययन-परिधि को राजस्थान के तीन रजवाड़ों—जोधपुर, जैसलमेर एवं बीकानेर के विशेष सन्दर्भ में बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक विस्तार दिया गया है।

इस पुस्तक की ख़ासियत यह है कि इसमें सायास रजवाड़ों, ठिकानों से इतर सामान्य महिलाओं की स्थिति पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया है और बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध के साक्षी रचनात्मक साहित्य और समाचार-पत्रों को बड़े पैमाने पर इतिहास-लेखन के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया गया है। जिस भौगोलिक क्षेत्र को यह कृति सम्बोधित है, उसके लिए ऐसी पुस्तक की बेहद ज़रूरत थी जिसे इस पुस्तक ने निस्सन्देह सफलतापूर्वक पूरा किया है। अनेक विधाओं में और विभिन्न माध्यमों के लिए समान अधिकार से लिखनेवाले दुष्यंत की विषयानुरूप सहज, सम्मोहक और प्रांजल भाषा ने इस पुस्तक को बहुत रोचक और पठनीय बना दिया है।

रेखांकित किया जाना ज़रूरी है कि ‘स्त्रियाँ : पर्दे से प्रजातंत्र तक’ हिन्दी में मौलिक और रचनात्मक शोध की बानगी भी पेश करती है। विश्वास किया जा सकता है कि संजीदा और सघन वैचारिक बुनियाद पर गहन शोध के आधार पर लिखित इस पुस्तक को भारत में स्त्री इतिहास-लेखन के लिहाज से महत्त्वपूर्ण माना जाएगा।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2019, Ed. 2nd
Pages 248p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
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Dushyant

Author: Dushyant

दुष्यन्त

जन्म : 13 मई, 1977, भारत-पाक सीमा पर बसे केसरीसिंहपुर क़स्बे में।

दुष्यन्त हिन्दी के चर्चित युवा कवि, कथाकार हैं, इतिहास में पीएच.डी. हैं। उनका शोधग्रन्थ ‘स्त्रियाँ : पर्दे से प्रजातंत्र तक’ नाम से राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है। उनका पहला कविता-संग्रह मातृभाषा राजस्थानी में आया, जिसे राजस्थानी साहित्य अकादेमी ने पुरस्कृत किया। दूसरा कविता-संग्रह हिन्दी में ‘प्रेम का अन्य’ नाम से प्रकाशित हुआ जिसे ‘रामकुमार ओझा पुरस्कार’ दिया गया। कविता के लिए ‘प्रथम कविताकोश सम्मान’ भी दिया गया। एक किताब रूसी कवि येवेगनी येव्तुशेंको की कविताओं के राजस्थानी अनुवाद भी प्रकाशित। दर्जन-भर यूरोपियन, लैटिन अमेरिकन कवियों की कविताओं का हिन्दी अनुवाद किया है। उनका एक मौलिक कहानी-संग्रह ‘जुलाई की एक रात’ नाम से पेंगुइन से प्रकाशित है। पहला उपन्यास ‘वाया गुड़गाँव’ जग्गरनॉट से प्रकाशित है।

इतिहास के अध्यापन के बाद पत्रकारिता की। इन दिनों मुम्बई में फ़िल्मों के लिए पटकथा, गीत-लेखन से जुड़े हैं।

ई-मेल : dr.dushyant@gmail.com

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