Stree Lekhan : Swapn Aur Sankalp

Author: Rohini Agrawal
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Stree Lekhan : Swapn Aur Sankalp

स्त्री-लेखन स्त्री की आकांक्षाओं का दर्पण है। यह स्त्री की मानवीय इयत्ता को पाने और जीने का स्वप्न है; मुक्ति की राहों के अन्वेषण का संघर्ष है; और उन राहों पर अविराम चलने की संकल्पदृढ़ता भी। स्त्री-लेखन स्त्री मानस के तलघर को बिना किसी छेड़छाड़ के सामने रखता है जहाँ व्यवस्था के विरोध में उफनते हुंकारों के साथ व्यवस्था में परित्राण पाने की बेचारगियाँ भी हैं और भेड़ की तरह जिबह होने की यंत्रणा के साथ भेड़िया बनकर दूसरों को लील जाने की कुटिलताएँ भी। इसे मानवीय दुर्बलताओं की नैसर्गिक अभिव्यक्ति कहिए या अन्तर्विरोधों का स्वीकार—स्त्री-लेखन पारम्परिक ‘माइंड सेट’ से लड़ने की कोशिश में परम्परा और ‘माइंड सेट’ दोनों की ताक़त को एक ठोस सामाजिक-मानसिक सच्चाई और चुनौती के रूप में सतह पर लाता है। लेकिन क्या वास्तव में स्त्री-लेखन इतनी निःसंग विश्लेषणपरकता के साथ अपने स्व को और समाज के शास्त्र को जाँच सका है?

यह पुस्तक स्त्री के नज़रिए से स्त्री-लेखन का पाठ है; उसकी क्षमताओं, सीमाओं और अन्तर्विरोधों का आकलन करते हुए युग की नब्ज़ को टटोलने का जतन भी। यह पुस्तक उन दरारों-दरकनों में झाँकने का प्रयास भी है जहाँ स्त्री को ‘स्त्री’ बनाए रखने की ‘प्रगतिशील साज़िशों’ में स्त्री-मुक्ति के एजेंडे को गुमराह करने और स्त्री-विमर्श को देह-विमर्श में रिड्यूस करने की कोशिशें निहित हैं। दुर्भाग्यवश हिन्दी आलोचना ‘आरोप’ लगाकर स्त्री-लेखन के महत्त्व को ख़ारिज करती आई है या उसे घर-सम्बन्धों के संकुचित दायरे से बाहर निकलकर बृहत्तर मुद्दों से जुड़ने की ‘सीख’ देती रही है। प्रकारान्तर से दोनों ही स्थितियाँ स्त्री-लेखन के बुनियादी सरोकारों से मुँह चुराने की कोशिशें हैं। यह पुस्तक पहली बार इस तथ्य को रेखांकित करती है कि स्त्री-विमर्श का लक्ष्य पाठक में अब तक के ‘अनदेखे’ को देखने और गुनने की संवेदनशीलता विकसित करना है ताकि लैंगिक विभाजन से मुक्त मनुष्य और समाज की रचना के स्वप्न को साकार किया जा सके।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2019, Ed. 3rd
Pages 328p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Rohini Agrawal

Author: Rohini Agrawal

रोहिणी अग्रवाल

जन्म : 9 दिसम्बर, 1959; मानसा, पंजाब।

शैक्षणिक योग्यता : एम.ए. (हिन्दी एवं अंग्रेज़ी), पीएच.डी. (हिन्दी), पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा।

प्रकाशित प्रमुख पुस्तकें : ‘हिन्दी उपन्यास में कामकाजी महिला’, ‘एक नज़र कृष्णा सोबती पर’, ‘इतिवृत्त की संरचना और स्वरूप’ (पन्द्रह वर्ष के प्रतिमानक उपन्यास); ‘समकालीन कथा साहित्य : सरहदें और सरोकार’ (आलोचना); ‘घने बरगद तले’ (कहानी-संग्रह); ‘कहानी यात्रा सात’ (सम्पादित कहानी-संग्रह); लगभग डेढ़ दर्जन कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।

सम्मान : कहानी ‘कोहरा छँटता हुआ’ तथा ‘आर्किटेक्ट’ वर्ष 1987 तथा 2003 में हरियाणा साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत; आलोचनात्मक पुस्तक ‘समकालीन कथा साहित्य : सरहदें और सरोकार’ वर्ष 2008 में हरियाणा साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत; ‘स्पन्दन आलोचना पुरस्कार’ (वर्ष 2010); ‘रेवान्त मुक्तिबोध साहित्य सम्मान’; ‘वनमाली कथा आलोचना सम्मान’; ‘डॉ. शिवकुमार मिश्र स्मृति सम्मान’।

सम्प्रति : प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक (हरियाणा)।

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