‘शाहों का शाह' ईरान में शाह के अन्तिम वर्षों का लेखा-जोखा है। साथ ही ईरान में व्याप्त शाह के अभूतपूर्व भय और दमन का लोमहर्षक वृत्तान्त। अलग और विशिष्ट शैली में लिखी गई यह पुस्तक हमें ईरानी क्रान्ति के साथ-साथ वहाँ की संस्कृति और सामाजिक-धार्मिक और राजनीतिक ताने-बाने के विषय में भी गहन अन्तर्दृष्टि देती है।

रिषार्ड कापुश्चिंस्की पेशे से भले पत्रकार थे, लेकिन उनकी लेखनी में इतिहासकार, समाजविज्ञानी और कवि—तीनों का पुट मिलता है। ‘शाहों का शाह' की परिचयात्मक प्रस्तावना लिखनेवाले क्रिस्टोफ़र डि बेलाइग के अनुसार, ''वह इतिहास के अमूर्तनों पर अपने स्वयं के पत्रकारीय पर्यवेक्षणों को प्राथमिकता देते हैं।...वह राष्ट्रों और यहाँ तक कि घटनाओं को भी मानवीकृत स्वरूप में सामने रखते हैं, शैली की नफ़ासत सम्भवत: उन्हें मार्क्सवादी दृष्टिकोण से प्राप्त हुई है जो उन्हें पोलैंड में कभी पढ़ाया गया था।...कुल मिलाकर उनके इतिहास का स्रोत पुस्तकालय नहीं है, वह सड़कों से निकलता है, जहाँ गोलियों की पार्श्व-ध्वनियों के साए में मनुष्य धूल-धक्कड़ से जूझ रहा होता है। स्वयं कापुश्चिंस्की ने कहीं कहा है कि, जहाँ तक मुझे लगता है, जनता के विषय में तब तक लिखना ठीक नहीं है जब तक कुछ सीमा तक उसके जीवन को स्वयं भी जीकर समझ न लिया जाए।''

यह पुस्तक ईरान में घटित एक घटना-विशेष के साथ-साथ हमें पत्रकारिता की एक नई शैली से भी परिचित कराती है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 144p
Translator Ghanshayam Sharma
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Shahon Ka Shah
Your Rating

Author: Ryszard Kapuscinski

रिषार्ड कापुश्चिंस्की

जन्म : 2 मार्च, 1932 को पूर्वी पोलैंड में।
वारसा विश्वविद्यालय में पोलिश इतिहास का अध्ययन करने के उपरान्त उन्होंने घरेलू संवाददाता के रूप में काम शुरू किया।
इसके बाद, 1981 तक पोलिश प्रेस एजेंसी के लिए विदेश संवाददाता के रूप में आपने गृहयुद्धों, क्रान्तियों और तीसरी दुनिया की सामाजिक स्थितियों से सम्बन्धित रिपोर्टिंग के लिए विशेष सराहना अर्जित की। लातीन अमेरिका, अफ़्रीका और मध्य-पूर्व कई ऐसी कहानियों से उन्होंने पर्दा उठाया जिनका पता दुनिया को नहीं था। तीसरी दुनिया के अलावा कापुश्चिंस्की ने पोलिश प्रान्तों तथा एशियाई तथा सोवियत संघ के कॉकेशियन गणतंत्रों पर भी पुस्तकें लिखी हैं।
निधन : 23 जनवरी, 2007

Read More
Books by this Author
Back to Top