हर युवा पत्रकार अपने मन में यथाशीघ्र सम्पादक बनने का सपना सँजोए रहता है। सम्पादन के कार्य की कई सीढ़ियाँ होती हैं। पहली सीढ़ी पर पहुँचने के बाद उसे अपने पहले काम से गुणात्मक रूप से भिन्न काम करना होता है। एक संवाददाता अपने आसपास की घटनाओं में से समाचार लायक़ घटनाओं को चुनकर उसे पाठक की दिलचस्पी के अनुरूप बनाता है। विशिष्ट घटना पर केन्द्रित करने की प्रतिभा इसका एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है।
सम्पादन के लिए इससे अलग दृष्टि और कौशल की ज़रूरत होती है। इसमें समग्रता से देखने की प्रतिभा के साथ समग्र को एक पैटर्न में रखने और उसमें न आ पानेवाले समाचारों को अलग कर सकने के लिए ज़रूरी दृष्टि और कौशल काम आते हैं। समग्रता के साथ देखने के लिए जिस तरह की मनोवृत्ति की ज़रूरत है और काट-छाँट करने के लिए जिस तरह कठोर और बेरहम दिल की ज़रूरत है, वे किसी सीमा तक विरोधाभासी हैं। फिर भी इन दोनों के संयोग से ही अच्छा सम्पादन सम्भव है।
मूलत: पत्रकार कमल दीक्षित ने पत्रकारिता के शिक्षक के रूप में भी प्रतिष्ठा अर्जित की है। सम्पादन का उन्हें लम्बा अनुभव है। अपनी परिपक्व दृष्टि से उन्होंने समाचार सम्पादन के दुरूह कार्य को सरल करने के लिए बड़े ही सहज ढंग से प्रभावी गुर इस पुस्तक में बताए हैं। लेखक एवं पत्रकार महेश दर्पण ने ‘ऑन लाइन एडिटिंग’ की आवश्यकता को प्रभावशाली ढंग से रेखांकित किया है। इससे इस पुस्तक की उपादेयता और बढ़ी है।
विश्वास है कि सम्पादक बनने के सपने को मूर्त रूप देने में बहुत सारे लोगों के लिए यह पुस्तक पाथेय सिद्ध होगी।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Ramsharan Joshi |
Publication Year | 1991 |
Edition Year | 2024, Ed. 6th |
Pages | 143p |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1.5 |