Roshani Ke Raste Per

Author: Anita Verma
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Roshani Ke Raste Per

अपने पहले संग्रह ‘एक जन्म में सब’ के प्रकाशन के साथ अनीता वर्मा ने एक ऐसे कवि के रूप में पहचान बनायी जिनके पास एक विरल संवेदना है, अपने आंतरिक संसार के स्पंदनों को सही शब्दों और सार्थक बिंबों में रूपांतरित कर पाने की क्षमता है और एक सघन सुंदर विन्यास है। वह एक अद्वितीय संग्रह है जिसे संवेदनशील पाठकों ने एक सुखद आश्चर्य के साथ देखा और समझा। अनीता वर्मा का दूसरा संग्रह ‘रोशनी के रास्ते पर’ उस गतिशीतला और ऊर्जा को रेखांकित करता है जो एक रचनात्मक जीवन की यात्रा से अपने आप जुड़ी होती हैं। लेकिन इस संग्रह की कविताएं इससे भी अधिक कुछ संकेत करती हैं और कवि के रचनात्मक अंतर्संघर्ष के साथ-साथ उनकी कविताओं के कथ्य और शिल्प में आये बदलावों को बतलाती हैं। यहां बिंबों से वृत्तांत की ओर, स्मृति से स्वप्न की ओर, अंतरंग से बहिरंग की ओर और अनुभूति से अनुभव की ओर जाने और कभी-कभी एक-दूसरे में आवाजाही करने की एक अनोखी यात्रा दर्ज हुई है: ‘अच्छा हुआ कि हृदय बच गया/और शब्दों को चलने के लिए पैर मिल गये।’

अनीता वर्मा की ज़्यादातर कविताओं में दिखने वाली आत्मिकता, रहस्यमयता, शमशेर बहादुर सिंह जैसी शुद्धता और गहरे आशावाद की ओर कई पाठकों-आलोचकों का ध्यान गया है। इन विशेषताओं का जन्म कवि के भीतर संवेदना की गहराइयों और ऊंचाइयों से ही हुआ है और वे इस संग्रह की कविताओं में भी पूरे घनत्व के साथ उपस्थित हैं। अंतर यह है कि अनीता अब इस संवेदना के माध्यम से बाहर के संसार को भी व्यक्त कर रही हैं जिसका प्रमाण ‘बूढ़ानाथ की औरतें’, ‘अपने घर’, ‘भय’, ‘सभागार में’, ‘मां का हाथ’, ‘अनिंदो दा के साथ’, ‘मंच पर’ जैसी विलक्षण रचनाओं में मिलता है। अनीता वर्मा की काव्य संवेदना में निराशा और विकलता के बीच उम्मीद के आत्मिक बिंदु हमेशा चमकते दिखते हैं और पाठक की संवेदना को भी प्रकाशित करते  रहते हैं। ऐसे कवि की सामाजिक-राजनीतिक दृष्टि भी बहुत मानवीय और प्रतिबद्ध होगी जिनकी अभिव्यक्ति ‘महज़ नाम नहीं’, ‘झारखंड’, ‘रोशनी’ जैसी रचनाओं में हुई है। एक कविता की पंक्तियां कहती हैं: ‘मुझे अचानक दिखाई दिये कहीं खिले हुए कुछ फूल/और तभी कोई लालटेन का शीशा साफ़ कर/उसे जला कर रख गया था।’ हमारे समय में जमा हो रहे कई तरह के अंधकारों के बीच ये पंक्तियां इन कविताओं के स्वभाव को भी बतलाती हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2008
Edition Year 2022, Ed 2nd
Pages 103p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Anita Verma

Author: Anita Verma

अनीता वर्मा

अनीता वर्मा का जन्म 25 जून, 1959 को हुआ। देवघर और पटना में आरम्भिक शिक्षा के बाद भागलपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी भाषा और साहित्य से बी.ए. (ऑनर्स) किया और एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। ‘प्रेमचन्द के उपन्यासों में महाजनी सभ्यता’ पर शोधकार्य किया।
‘पहल’, ‘साक्षात्कार’, ‘समकालीन भारतीय साहित्य’, ‘सर्वनाम’, ‘वागर्थ’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘कथादेश’, ‘जनसत्ता’, ‘हंस’, ‘आवेग’, ‘दस्तक’, ‘आवर्त’, ‘इंडिया टुडे वार्षिकी’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन। ‘समकालीन सृजन’ के ‘कविता इस समय’, ‘विपाशा’ और ‘रचना समय’ के विशेषांकों में कविताएँ प्रकाशित। आकाशवाणी और दूरदर्शन से कविताओं का प्रसारण। ‘कविता का घर’ कार्यक्रम के अन्तर्गत चयनित कविता का दृश्य रूपान्तर।
पहला कविता-संग्रह ‘एक जन्म में सब’ 2003 में प्रकाशित और चर्चित। विभिन्न भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, डच और जर्मन में कविताओं के अनुवाद। ‘दस बरस : अयोध्या के बाद कविता’ में कविताएँ संकलित। डच भाषा में अनूदित हिन्दी कविता के संकलन ‘Ik Zag de Stad’ (मैंने शहर को देखा) और जर्मन में प्रकाशित Felsinschriften (शिलालेख) में कविताएँ संकलित। साहित्य अकादेमी की पत्रिका ‘इंडियन लिटरेचर’ में कुछ कविताओं के अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित। चीन की कुछ आधुनिक महिला कवियों के हिन्दी अनुवाद। चित्रकला, संगीत और दर्शन में विशेष रुचि। ‘एक जन्म में सब’ पर 2006 का ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’।
संपर्क : 204, रामेश्वरम अपार्टमेंट्स, साउथ ऑफ़िसपाड़ा, डोरंडा, रांची-834002, झारखंड।

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