Rekhta ke Daag

Edition: 2020, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan - Rekhta Books
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Rekhta ke Daag
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"रेख़्ता क्लासिक्स" सीरीज़ उर्दू के क्लासिकी शायरों के प्रतिनिधि शायरी को नए पाठकों तक पहुँचाने के एक अनूठा प्रयास है। प्रस्तुत किताब में दाग़ देहलवी की प्रतिनिधि शायरी है जिसका संकलन फ़रहत एहसास साहब ने किया है।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 167p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan - Rekhta Books
Dimensions 21 X 13.5 X 1
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Author: Nawab Mirza Khan 'Daag'

नवाब मिर्ज़ा ख़ाँ 'दाग़'

बुलबुल-ए-हिंद, फ़सीह-उल-मुल्क नवाब मिर्ज़ा दाग़ वो महान शायर हैं जिन्होंने उर्दू ग़ज़ल को उसकी निराशा से निकाल कर मुहब्बत के वो तराने गाए जो उर्दू ग़ज़ल के लिए नए थे। उनसे पहले ग़ज़ल विरह की तड़प से या फिर कल्पना की बेलगाम उड़ानों से लिखी हुई थी। दाग़ ने उर्दू ग़ज़ल को एक शगुफ़्ता और रजाई लहजा दिया और साथ ही उसे बोझल फ़ारसी संयोजनों से बाहर निकाल के क़िला-ए-मुअल्ला की ख़ालिस टकसाली उर्दू में शायरी की जिसकी दाग़-बेल ख़ुद दाग़ के उस्ताद शेख़ इब्राहीम ज़ौक़ रख गए थे। नई शैली सारे हिन्दोस्तान में इतनी लोकप्रिय हुई कि हज़ारों लोगों ने उसकी पैरवी की और उनके शागिर्द बन गए। ज़बान को उसकी मौजूदा शक्ल में हम तक पहुंचाने का श्रेय भी दाग़ के सर है। दाग़ ऐसे शायर और फ़नकार हैं जो अपने चिंतन-कला, शे’र-ओ-सुख़न और ज़बान-ओ-अदब की ऐतिहासिक सेवाओं के लिए कभी भुलाए नहीं जाऐंगे।

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