गाँवों में गुज़र-बसर कर रहे लोगों के दैनंदिन जीवन में घटनेवाली घटनाओं को रेखांकित करनेवाली कहानियों का संकलन है—‘रौंदा हुआ निवाला’। अपनी इन तेरह कहानियों में लेखक ने गाँव में व्याप्त विभिन्न समस्याओं की ओर पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है। ऐसी समस्याएँ, जिनसे प्रतिदिन उन्हें दो-चार होना पड़ता है। चाहे दहेज़ के आभाव में आत्महत्या करनेवाली युवती का मुद्दा हो या फिर पत्नी द्वारा छले गए पति का, चाहे सूखा पड़ने पर पशुओं के चारे के लिए दर-दर भटकते किसान का हो या फिर उपज से ज़्यादा खेती में आनेवाली लागत का; या फिर सरकारी कर्मचारियों द्वारा भोली-भाली जनता को क़ानूनी दाँव-पेच में फँसाकर लूटने का, या सिर्फ़ वादा करनेवाले नेताओं का—लेखक ने बड़ी शिद्दत से अपने इस संकलन में इन जीवन्त मुद्दों को उकेरा है। अभावों के बीच, विषम परिस्थितियों में भी जीवन जीने की ललक इस संग्रह को विशिष्ट बनाती है।

 

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed. 1st
Pages 223p
Translator Bhagwaan Vaidey Pukhar
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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You're reviewing:Raunda Hua Niwala
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Sadanand Deshmukh

Author: Sadanand Deshmukh

सदानन्द देशमुख

सदानन्द देशमुख मराठी के चर्चित और लोकप्रिय लेखक हैं। उन्हें उपन्यास ‘बरोमस’ के लिए केन्द्रीय साहित्य अकादेमी का पुरस्कार प्रदान किया गया। ‘प्यास’, ‘लचांड’, ‘उठावण’, ‘महालूट’, ‘रगडा’, ‘गाभुलगाभा’ और ‘रौंदा हुआ निवाला’ उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं। साथ ही ‘गाँवकला’ कविता-संग्रह और लेखों की पुस्तक ‘मेल्वण’ प्रकाशित हैं। उन्हें ग्रामीण लेखकों में अग्रणी माना जाता है। कई पुरस्कारों से सम्मानित हैं।

 

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