Rashtrabhasha Hindi Samasyaye Aur Samadhan

Edition: 2023, Ed. 10th
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Rashtrabhasha Hindi Samasyaye Aur Samadhan

हिन्दी राष्ट्रभाषा बन गई, राजभाषा का दर्जा भी पा गई, लेकिन यह एक दुखद सत्य है कि स्वतंत्रता के इतने वर्ष बाद भी उसकी राह के रोड़े और समस्याएँ कमोबेश बनी हुई हैं। समस्याएँ अन्दरूनी भी हैं और बाह्य भी। अन्दरूनी समस्याओं का समाधान ढूँढ़ना तो भाषाविज्ञानियों और विद्वानों का ही है, किन्तु बाह्य समस्याओं का समाधान पूरे राष्ट्र की मानसिक जागरूकता पर निर्भर करता है। भारत जैसे बहुजातीय, बहुभाषी देश में राष्ट्रभाषा की राह में रोड़े आना अस्वाभाविक नहीं है, किन्तु जागरूक राष्ट्र के लिए उन्हें हल कर लेना भी कठिन नहीं है।

प्रस्तुत पुस्तक के विद्वान् लेखक देवेन्द्रनाथ शर्मा ने राष्ट्रभाषा हिन्दी की सभी समस्याओं पर बड़ी गहराई से अध्ययन करके उनका समाधान खोजने का स्तुत्य प्रयास किया है। उन्होंने समस्याओं पर चिन्तन करने के पूर्व भाषा, धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीयता के अन्तर्सम्बन्ध पर गहन विचार करने के पश्चात् हिन्दी के महत्त्व का गहराई से विवेचन किया है, जिससे इस भाषा के राष्ट्रभाषा का स्वरूप और उसकी अनिवार्यता पूरी तरह स्थापित हो जाती है। इसी सन्दर्भ में विद्वान् लेखक ने हिन्दी भाषा की सरलता का विवेचन किया है। किसी भाषा के राष्ट्रभाषा बनने के लिए उसका सरल होना एक अनिवार्य शर्त है। इस सम्बन्ध में विचार करते समय हिन्दी के और अधिक सरलीकरण पर भी विचार किया गया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2023, Ed. 10th
Pages 210p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.5
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Aacharya Devendranath Sharma

Author: Aacharya Devendranath Sharma

आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा

जन्‍म : 1918

सफल नाट्यकार और निपुण निबन्धकार।

प्रभावी वक्ता तथा प्रकीर्तित लेखक।

पटना विश्वविद्यालय तथा दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व-कुलपति। अन्तरविश्वविद्यालय बोर्ड, संस्कृत अकादमी तथा भोजपुरी अकादमी, बिहार के पूर्व अध्यक्ष। पूर्व अध्यक्ष, बिहार हिन्दी ग्रन्थ अकादमी। पटना विश्वविद्यालय तथा बिहार विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष। अध्यक्ष, भारतीय हिन्दी परिषद्, ग्वालियर तथा आनन्द अधिवेशन तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना।

भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार की प्रवर-समिति के पूर्व सदस्य। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली आयोग, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, भारत सरकार एवं बिहार सरकार की अनेक समितियों के पूर्व अध्यक्ष/सदस्य।

इंग्लैंड, फ़्रांस, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड, सोवियत संघ, बुल्गारिया, चेकोस्लोवाकिया, मॉरिशस, कोरिया आदि देशों का शैक्षिक एवं सांस्कृतिक भ्रमण।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : आलोचना—‘राष्ट्रभाषा हिन्दी : समस्याएँ और समाधान’, ‘भामह-विरचित काव्यालंकार का हिन्दी भाष्य’, ‘पाश्चात्य काव्यशास्त्र’, ‘अलंकार मुक्तावली’, ‘काव्य के तत्त्व’; नाट्य—‘पारिजात मंजरी’, ‘बिखरी स्मृतियाँ’, ‘शाहजहाँ के आँसू’, ‘मेरे श्रेष्ठ रंग एकांकी’; ललित निबन्ध—‘खट्टा-मीठा’, ‘आईना बोल उठा’, ‘प्रणाम की प्रदर्शनी में’।

सम्मान : ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’, ‘वरिष्ठ हिन्दी सेवी पुरस्कार’ आदि।

निधन : 1991 

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