‘रानी रूपमती की आत्मकथा’ उपन्यास इतिहास और कल्पना का अच्छा मिश्रण है। वैसे तो यह उपन्यास रूपमती और बाज़ बहादुर की प्रेम-कथा है, लेकिन इस कथा में उस दौर की दुरभिसन्धियाँ भी हैं। रानी रूपमती कौन थी, इस बारे में इतिहास मौन है, किन्तु उपन्यास में उसे राव यदुवीर सिंह, जिनके पुरखे कभी माँडवगढ़ के राजा थे, की बेटी के रूप में दर्शाया गया है। उपन्यास के अनुसार रानी रूपमती की माँ रुक्मिणी एक क्षत्राणी थीं, जिन्हें उनकी माँ के साथ मुस्लिम आक्रान्ताओं ने उठा लिया था। उनके चंगुल से वे निकल भागीं। एक वेश्यालय में शरण ली, जहाँ उनकी शादी राव यदुवीर से हुई।
उसके बाद की कथा इतिहास की आड़-तिरछी गलियों, सत्ता के गलियारों और युद्ध के पेंचदार प्रसंगों से होते हुए रानी रूपमती के ज़हर खाने तक जाती है।
यह कथा उस समय की राजनीति के साथ-साथ तत्कालीन समाज का भी चित्रण करती है। धर्म और धर्मनिरपेक्षता जैसे सवाल तो अपनी जगह हैं ही, उपन्यास की शैली भी रोचक है। यह स्वप्न-दर्शन और वर्णन की शैली में बुनी गई एक ऐसी कथा है जिसे ख़ुद रानी रूपमती लेखक को स्वप्न में सुनाती है।
Language | Hindi |
---|---|
Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2020 |
Edition Year | 2020, 1st Ed. |
Pages | 240p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 2 |