Quaid Mein Aazad Qulam

Author: Anand Mohan
Edition: 2012, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Quaid Mein Aazad Qulam

कविता भावप्रधान होने के कारण हृदय का व्यापार है, पर अनेक कविताओं में उदात्त विचारों की शृंखला भी उतनी ही आकर्षक और मोहक होती है और वैसी कविताएँ हृदय को संकीर्णताओं से उठाकर मुक्तावस्था में ले जाती हैं। इसके लिए कवि को उपयुक्त शब्द-विधान में निपुण होना चाहिए।...‘क़ैद में आज़ाद क़लम’ आनन्द मोहन की काव्यकृति है। काव्य की प्रमुख चिन्ता जीवन-मूल्यों को बचाए रखने की होती है, जिससे मानवता की श्रीवृद्धि होती रहे। मानव-मूल्यों के ह्रास की चिन्ता ‘क़ैद में आज़ाद क़लम’ के कवि की अधिकांश कविताओं में कलात्मक ढंग से अभिव्यक्त हुई है। जीवन-व्यापार की व्यापक विस्तृति में जहाँ छल-छद्म है, झूठ है, फ़रेब है, अन्याय-अत्याचार है, विसंगति और व्यभिचार है, वहाँ-वहाँ कविता में ‘शौर्य की हुंकार’ है। इनका सम्पूर्ण काव्य मार्मिक अनुभूतियों की वाग्वैदग्ध्यपूर्ण अभिव्यक्ति है।

 —परिशंसा से

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 2nd
Pages 116p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Anand Mohan

Author: Anand Mohan

आनन्द मोहन

आनन्द मोहन और आन्दोलन एक-दूसरे के पर्याय हैं। सतत संघर्ष के जीते-जागते प्रतीक हैं—आनन्द मोहन। बिहार के प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी परिवार में जन्मे और सन् 1974 के 'सम्पूर्ण क्रान्ति’ की कोख से पैदा हुए आनन्द मोहन अपने जीवन के 18वें वसन्त में जे.पी. आन्दोलन से राजनीति में आए। एक बार विधायक और दो बार सांसद भी बने, परन्तु मूलत: वे क्रान्तिकारी ही रहे। लड़कपन से उनकी पहचान हठी, ज़िद्दी, ग़ुस्सैल, साहसी, बाग़ी और बेबाक छात्र-युवा नेता की रही।

हठ—जिसे ठान लिया, उसे पूरा करने का हठ।

ज़िद—लाख नुक़सान के बाद भी अपने फ़ैसलों और उसूलों पर डटे रहने की ज़िद।

ग़ुस्सा—सड़ाँध पैदा करती यथास्थितिवादी व्यवस्था के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा।

साहस—प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सच को सच और ग़लत को ग़लत कहने का साहस।

बेबाक—अच्छा-बुरा, तीखा-तीता, ग़लत-सही, जो है उसे पीठ पीछे नहीं, सामने उगल देने की बेबाक़ी।

मान्य रूढ़ियों, राजनीतिक ढाँचों, सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ने तथा हर तरह के अन्याय, शोषण, विषमता और दमन पर दहाड़ने वाला—बाग़ी नेता, जिसे समय-समय पर मीडिया और आलोचकों ने कभी ‘एंग्री यंग मैन’, ‘राबिनहुड’, ‘फायर ब्रांड लीडर’ और न जाने कितने नामों से नवाज़ा।

लेकिन इस बाग़ी, विद्रोही एवं सतत संघर्षशील व्यक्ति के अन्दर एक कल्पनाशील, कोमल, संवेदनशील, चिन्तनशील हृदय और मस्तिष्क भी है, कालान्तर में जिसे लोगों ने जाना और माना भी। वे संघर्ष के योजनाकार ही नहीं, साहित्य के शिल्पकार भी हैं। ज़ाहिर है, उनका साहित्य भी इनके विचार, चरित्र और संघर्षों का प्रतिबिम्ब होगा।

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