Pui

100%
(8) Reviews
As low as ₹225.00 Regular Price ₹250.00
You Save 10%
In stock
Only %1 left
SKU
Pui
- +

राहुल की विशिष्ट बात ये है कि वे निहायत ही निजी अनुभव और दृष्टिकोण से कहानियाँ लिखते हैं पर उनकी कहानियाँ उस व्यापकता तक जाती हैं जहाँ पाठक न सिर्फ़ अपने जीवन का अंश देख पाते हैं बल्कि अपने व्यक्तिगत जीवन की सचाई से भी रू-ब-रू हो जाते हैं। पहले मैंने राहुल को सिर्फ़ एक फ़िल्म सम्पादक और निर्देशक की तरह जाना था जिसमें ‘इकोनॉमी ऑफ़ एक्सप्रेशन’ की कमाल की समझ है। पर अब मैं राहुल की उस हिम्मत से बहुत प्रभावित हूँ, जिससे उसने अपने अन्तर्मन को सचाई से टटोला और अपने दर्द, अपने ग़ुस्से, अपनी यादों और अपने अपराधबोध तक को शब्दों में ढालकर दुनिया के सामने रख दिया। मैंने लगभग सभी कहानियों में उस छोटे से पत्थर को महसूस किया जो चोट नहीं देना चाहता पर ठहरे हुए पानी में हलचल पैदा कर देता है।

‘चूहे’ की हिंसा सिर्फ़ एक घर की नहीं बल्कि समाज में फैली व्यापक हिंसा की तरफ खुलकर इशारा करती है। ‘पुई’ और ‘टर्मिनल-1' पढ़कर मैं उस दर्द को महसूस कर रहा था जिसे राहुल ने शब्द और जीवन दिया है। राहुल की भाषा अत्यन्त साधारण होते हुए भी उस ईमानदारी से भरी है जिसे पढ़कर मैं थोड़ा विचलित हो गया। ऐसा शायद इसलिए हुआ कि मैं ख़ुद को आईने में देख रहा था और सचाई को देखकर मुझे एक भय-सा महसूस हुआ। इस तरह की भाषा की बानगी देखकर मैं यही सोच रहा हूँ कि राहुल की आने वाली कहानियाँ कैसी होंगी। मुझे विश्वास है कि हम भविष्य के एक ऐसे लेखक को पढ़ रहे हैं जिसकी लेखनी से बहुत कुछ महत्त्वपूर्ण लिखा जाने वाला है।

—सईद अख़्तर मिर्ज़ा

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Pui
Your Rating
Rahul Shrivastava

Author: Rahul Shrivastava

राहुल श्रीवास्तव

राहुल श्रीवास्तव का जन्म 9 दिसम्बर, 1977 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। शुरुआती पढ़ाई इलाहाबाद में ही हुई। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.कॉम. और भारतीय फ़िल्म एवं टेलिविज़न संस्थान, पुणे से फ़िल्म सम्पादन में पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा किया। उनकी कहानियाँ ‘हंस’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘बनास जन’, ‘समालोचन’ और ‘वनमाली कथा’ आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। कई विश्वविद्यालयों और संस्थानों में वे अतिथि अध्यापक रहे हैं।

उन्होंने अब तक डेढ़ सौ से अधिक विज्ञापन फ़िल्मों का निर्देशन और लघु फ़िल्म ‘इतवार’ का लेखन एवं निर्देशन किया है। इस फ़िल्म को लघु फ़िल्म श्रेणी (सर्वश्रेष्ठ पुरुष अभिनेता) में फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला। पाँच से अधिक फ़ीचर फ़िल्मों का सम्पादन भी उन्‍होंने किया है। ‘साहेब, बीवी और गैंगस्टर’ के लिए ‘APSARA’ अवार्ड द्वारा सर्वश्रेष्ठ सम्पादक के लिए नामांकन।

Read More
Books by this Author
Back to Top