Pratinidhi Kavitayen : Shrikant Verma

Representative Poems
Author: Shrikant Verma
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Pratinidhi Kavitayen : Shrikant Verma
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श्रीकान्त वर्मा का कविता-संसार उनके पाँच कविता-संग्रहों—‘भटका मेघ’ (1957), ‘दिनारम्भ’ (1967), ‘माया दर्पण’ (1967), ‘जलसाघर’ (1973) और ‘मगध’ (1984) में फैला हुआ है। यहाँ इन्हीं से इन कविताओं का चयन किया गया है। इन कविताओं से गुजरते हुए लगेगा कि कवि में आद्यन्त अपने परिवेश और उसे झेलते मनुष्य के प्रति गहरा लगाव है। उसके आत्मगौरव और भविष्य को लेकर वह लगातार चिन्तित है। उसमें यदि परम्परा का स्वीकार है तो उसे तोड़ने और बदलने की बेचैनी भी कम नहीं है। शुरू में उसकी कविताएँ अपनी ज़मीन और ग्राम्य जीवन की जिस गन्ध को अभिव्यक्त करती हैं, ‘जलसाघर’ तक आते-आते महानगरीय बोध का प्रक्षेपण करने लगती हैं या कहना चाहिए, शहरीकृत अमानवीयता के ख़िलाफ़ एक संवेदनात्मक बयान में बदल जाती हैं। इतना ही नहीं, उनके दायरे में शोषित-उत्पीड़ित और बर्बरता के आतंक में जीती पूरी-की-पूरी दुनिया सिमट आती है।

कहने की ज़रूरत नहीं कि श्रीकान्त वर्मा की कविताओं से अभिव्यक्त होता हुआ यथार्थ हमें अनेक स्तरों पर प्रभावित करता है और उनके अन्तिम कविता-संग्रह ‘मगध’ तक पहुँचकर वर्तमान शासकवर्ग के त्रास और उसके तमाच्छन्न भविष्य को भी रेखांकित कर जाता है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1986
Edition Year 2020, Ed 7th
Pages 131p
Translator Not Selected
Editor Vishwanath Prasad Tiwari
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Editorial Review

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Shrikant Verma

Author: Shrikant Verma

श्रीकान्त वर्मा

जन्म : 18 सितम्बर, 1931; बिलासपुर (म.प्र.) में। 1956 में नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए.। 1955-56 में बिलासपुर से ‘नई दिशा’ का सम्पादन। फिर भविष्य की खोज में दिल्ली आ गए। कुछ दिनों ‘भारतीय श्रमिक’ में उप-सम्पादक। 1958 से 62 तक दिल्ली की विशिष्ट पत्रिका ‘कृति’ का नरेश मेहता के साथ सम्पादन। 1964 से साप्ताहिक ‘दिनमान’ से सम्बद्ध हुए। सन् 1977 में दिनमान से त्यागपत्र।

साहित्य के अलावा राजनीति में सक्रिय हस्तक्षेप। साठ के दशक में डॉ. राममनोहर लोहिया के सम्पर्क में आए। उनके विचार और कर्म से गहरे स्तर पर प्रभावित। डॉ. लोहिया के असामयिक निधन और समाजवादी आन्दोलन के बिखराव के बाद सन् 1969 में श्रीमती इंदिरा गांधी से परिचय और कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय भागीदारी। सन् 1976 में म.प्र. से राज्यसभा के सदस्य। सन् 1980 में कांग्रेस (ई.) के चुनाव अभियान का संचालन। सन् 1985 में कांग्रेस पार्टी के प्रमुख महासचिव और प्रवक्ता।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘भटका मेघ’, ‘माया दर्पण’, ‘दिनारम्भ’, ‘जलसाघर’, ‘मगध’, ‘गरुड़ किसने देखा है’, ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (कविता-संग्रह); ‘झाड़’, ‘संवाद’ (कहानी-संग्रह); ‘दूसरी बार’ (उपन्यास); ‘जिरह’ (आलोचना); ‘अपोलो का रथ’ (यात्रावृत्त); ‘फ़ैसले का दिन’ (आन्द्रेई वोज्नेसेंस्की की कविताएँ) (अनुवाद); ‘बीसवीं शताब्दी के अँधेरे में’ (साक्षात्कार और वार्तालाप); ‘श्रीकान्त वर्मा रचनावली’ में आपकी सम्पूर्ण रचनाएँ शामिल हैं।

सम्मान : म.प्र. शासन द्वारा 'उत्सव-73’ में विशिष्ट लेखन के लिए सम्मानित। ‘जलसाघर’ के लिए ‘तुलसी सम्मान’, म.प्र. शासन का प्रथम ‘शिखर सम्मान’, ‘कुमार आशान’, ‘यूनाइटेड नेशंस इंडियन काउंसिल ऑफ़ यूथ अवार्ड’, ‘नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार’, ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी सम्मान’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ आदि से सम्मानित।

फ़रवरी 86 में अस्वस्थ। कैंसर के इलाज के लिए अमेरिका गए। 25 मई, 1986 को अमेरिका के स्लोन केटरिंग मेमोरियल अस्पताल में निधन।

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