Magadh

Author: Shrikant Verma
Edition: 2023, Ed. 6th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹179.10 Regular Price ₹199.00
10% Off
In stock
SKU
Magadh
- +
Share:

मगध में संगृहीत कविताएँ इतिहास नहीं हैं, इतिहास का सम्मोहन हैं, मायालोक हैं; जिनमें नगर एवं गणराज्य, ‘मगध’, ‘अवन्ती’, ‘कोसल’, ‘काशी’, ‘श्रावस्ती’, ‘चम्पा’, ‘मिथिला’, ‘कोसाम्बी’ धूल में आकार लेते और धूल में निराकार हो जाते हैं बवंडर की तरह। इन कविताओं के नायक और नायिकाएँ हैं, इतिहास के निर्माता और गवाह, चन्द्रगुप्त, अशोक, बिंबिसार, अजातशत्रु, कालिदास, शकटार, वसंतसेना, वासवदत्ता, अम्बपाली...जिनका नाम लेते ही न जाने कितनी कहानियाँ जाग उठती हैं, कितने संस्मरण कौंध जाते हैं।

जरा, मरण, रोग, शोक, पतन, उत्थान, युद्ध, हत्या, जय, पराजय! मनुष्य की समग्र गाथा में महाकाव्यत्व होता है। ये कविताएँ उसी समग्रता और उसी महाकाव्यत्व को प्रस्तुत करने का एक उपक्रम हैं। ये पाठक को स्तब्ध करती हैं, चौंकाती हैं, भयभीत करती हैं, शोक-सन्देश की तरह उन पर छा जाती हैं, अनहोनी की तरह मँडराती हैं और होनी की तरह आकर बैठ जाती हैं। ये बिना चेतावनी दिए पाठक को अपनी गिरफ़्त में ले लेती हैं। इनका असर जादुई है।

जैन और बौद्ध दर्शन का स्मरण दिलाती हुई मगध में संगृहीत कविताएँ काल की एक झाँकी हैं और महाकाल की स्तुति! ये अतीत का स्मरण हैं, वर्तमान से मुठभेड़ और भविष्य की झलक!

मगध श्रीकान्त वर्मा की कविताओं में एक नया मोड़ है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1984
Edition Year 2023, Ed. 6th
Pages 111p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Magadh
Your Rating
Shrikant Verma

Author: Shrikant Verma

श्रीकान्त वर्मा

जन्म : 18 सितम्बर, 1931; बिलासपुर (म.प्र.) में। 1956 में नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए.। 1955-56 में बिलासपुर से ‘नई दिशा’ का सम्पादन। फिर भविष्य की खोज में दिल्ली आ गए। कुछ दिनों ‘भारतीय श्रमिक’ में उप-सम्पादक। 1958 से 62 तक दिल्ली की विशिष्ट पत्रिका ‘कृति’ का नरेश मेहता के साथ सम्पादन। 1964 से साप्ताहिक ‘दिनमान’ से सम्बद्ध हुए। सन् 1977 में दिनमान से त्यागपत्र।

साहित्य के अलावा राजनीति में सक्रिय हस्तक्षेप। साठ के दशक में डॉ. राममनोहर लोहिया के सम्पर्क में आए। उनके विचार और कर्म से गहरे स्तर पर प्रभावित। डॉ. लोहिया के असामयिक निधन और समाजवादी आन्दोलन के बिखराव के बाद सन् 1969 में श्रीमती इंदिरा गांधी से परिचय और कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय भागीदारी। सन् 1976 में म.प्र. से राज्यसभा के सदस्य। सन् 1980 में कांग्रेस (ई.) के चुनाव अभियान का संचालन। सन् 1985 में कांग्रेस पार्टी के प्रमुख महासचिव और प्रवक्ता।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘भटका मेघ’, ‘माया दर्पण’, ‘दिनारम्भ’, ‘जलसाघर’, ‘मगध’, ‘गरुड़ किसने देखा है’, ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (कविता-संग्रह); ‘झाड़’, ‘संवाद’ (कहानी-संग्रह); ‘दूसरी बार’ (उपन्यास); ‘जिरह’ (आलोचना); ‘अपोलो का रथ’ (यात्रावृत्त); ‘फ़ैसले का दिन’ (आन्द्रेई वोज्नेसेंस्की की कविताएँ) (अनुवाद); ‘बीसवीं शताब्दी के अँधेरे में’ (साक्षात्कार और वार्तालाप); ‘श्रीकान्त वर्मा रचनावली’ में आपकी सम्पूर्ण रचनाएँ शामिल हैं।

सम्मान : म.प्र. शासन द्वारा 'उत्सव-73’ में विशिष्ट लेखन के लिए सम्मानित। ‘जलसाघर’ के लिए ‘तुलसी सम्मान’, म.प्र. शासन का प्रथम ‘शिखर सम्मान’, ‘कुमार आशान’, ‘यूनाइटेड नेशंस इंडियन काउंसिल ऑफ़ यूथ अवार्ड’, ‘नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार’, ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी सम्मान’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ आदि से सम्मानित।

फ़रवरी 86 में अस्वस्थ। कैंसर के इलाज के लिए अमेरिका गए। 25 मई, 1986 को अमेरिका के स्लोन केटरिंग मेमोरियल अस्पताल में निधन।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top