Prasad Kavya Mein Bimb Yojana

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Prasad Kavya Mein Bimb Yojana

बिम्ब भावों और विचारों के सम्प्रेषण का विशेष सहायक तत्त्व है। वह पाठक को काव्यवस्तु के मूल तक पहुँचाने और कवि के मानस का साक्षात्कार करानेवाला सीधा मार्ग है।

पहले अध्याय में बिम्ब के स्वरूप पर पाश्चात्य दृष्टि से विचार करने के उपरान्त भारतीय काव्यशास्त्र के विभिन्न सिद्धान्तों से उसकी तुलना की गई है। तत्पश्चात् बिम्ब के आधारभूत तत्त्वों, उसकी उपयोगिता एवं कार्यों और उसके वर्गीकरण पर विचार किया गया है। अन्त में कल्पना और भाषा से बिम्ब का सम्बन्ध दिखाया गया है।

दूसरे अध्याय में प्रसाद-काव्य के बिम्बों का विस्तृत वर्गीकृत अध्ययन किया गया है। उपात्त वस्तु के आधार पर प्रकृति और मानव के क्षेत्र से गृहीत वस्तुओं की विविधता का विस्तृत विवेचन हुआ है। तत्पश्चात् क्रमशः संवेदनाओं, प्रेरक अनुभूतियों और मूर्तता के आधार पर प्रसाद जी के बिम्बों का वर्गीकरण किया गया है।

तीसरे अध्याय में प्रसाद जी के बिम्बों के विकास पर विचार करते हुए उसके तीन चरण निर्धारित किए गए हैं—आरम्भिक काव्य, मध्यवर्ती काव्य और प्रौढ़ काव्य। इनकी व्यावर्तक विशेषताओं को स्पष्ट करने के लिए अध्याय के अन्त में कुछ पुनरावृत्त बिम्बों का विकासात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत किया गया है।

चौथे अध्याय में बिम्बगत गुणों के आधार पर प्रसाद जी के बिम्बों की सफलता और असफलता पर विचार किया गया है। तदनन्तर प्रसाद-काव्य के परम्परागत और नवीन बिम्बों का अध्ययन हुआ है।

पाँचवें अध्याय में बिम्ब के माध्यम से अभिव्यक्त होनेवाले प्रसाद जी के दार्शनिक तथा अन्य विचारों का विवेचन किया गया है। साथ ही ‘कामायनी’ के रूपक-तत्त्व के निर्वाह में बिम्ब-विधान का कितना योगदान रहा है, इस पर भी विचार हुआ है।

छठे अध्याय में छायावादी काव्य-बिम्बों की उपात्त वस्तु, बिम्बगत संवेदना, मूर्त और अमूर्त बिम्ब-विधान एवं बिम्बगत गुणों का संक्षिप्त विवेचन करते हुए उसमें प्रसाद जी का स्थान निर्धारित किया गया है। तत्पश्चात् बिम्बों में व्यक्त प्रसाद जी के व्यक्तित्व पर विचार किया गया है।

सातवाँ अध्याय प्रबन्ध का उपसंहार है।

प्रस्तुत ग्रन्थ में लेखक ने बिम्ब के माध्यम से प्रसाद के कविमानस का साक्षात्कार कराया है। हिन्दी में सम्भवतः पहली बार समग्र प्रसाद-काव्य की बिम्ब-योजना के विशद विश्लेषण एवं विवेचन के साथ-साथ बिम्ब के आधार पर कवि की विकास-यात्रा का निकट से अध्ययन किया गया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 362p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
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Ramkrishna Agrawal

Author: Ramkrishna Agrawal

रामकृष्ण अग्रवाल

जन्म : 1937 में आगरा में हुआ।

शिक्षा : आगरा कॉलेज और बी.आर. कॉलेज, आगरा में हुई। 1958 में संस्कृत में एम.ए. और 1960 में हिन्‍दी में एम.ए. किया। 1973 में आगरा विश्वविद्यालय से पीएच.डी. उपाधि प्राप्त की।

1955 में आगरा कॉलेज, आगरा में ड्राइंग एंड पेंटिंग के प्राध्यापक के रूप में अध्यापन-कार्य आरम्भ किया। 1960 से राजस्थान में हिन्दी प्राध्यापक के रूप में कार्यरत। चिड़ावा कॉलेज, चिड़ावा में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे।

प्रकाशन : लेख, कविताएँ और आलोचनाएँ विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। ‘प्रसाद काव्य में बिम्ब-योजना’ एक बेहद महत्त्वपूर्ण कृति।

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