Prarambhik Shiksha

Education Books
Author: Ashutosh Dube
As low as ₹276.50 Regular Price ₹395.00
You Save 30%
In stock
Only %1 left
SKU
Prarambhik Shiksha
- +

बच्चों की व्यवस्थित शिक्षा एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा संवेदनशील कार्य है। विशेषकर 14 वर्ष की अवस्था तक के बच्चों को पठन-पाठन के लिए प्रवृत्त करने तथा उनके आधिगमिक स्तर को बढ़ाने के लिए उनकी मनःस्थिति, परिवेश तथा भाषा को ध्यान में रखना शिक्षक के लिए आवश्यक होता है। यही कारण है कि लेखक ने पुस्तक में व्यक्तित्व विकास के विविध चरणों का वर्णन करते हुए तत्समय की वयोजन्य विशेषताओं और शिक्षक द्वारा ध्यान देनेवाले बिन्दुओं पर प्रकाश डाला है।

कुछ बच्चे कक्षा में औसत से कम आधिगमिक प्रदर्शन करते हैं। प्रस्तुत पुस्तक में स्पष्ट किया गया है कि ऐसे बच्चों को शीघ्रता में मानसिकमन्द बालक नहीं मान लेना चाहिए; बल्कि उनके परिवेश का अध्ययन कर, वास्तविक निदान कर शिक्षक द्वारा यथोचित निर्णय के साथ बच्चे से व्यवहार करना चाहिए।

विद्यालयी शिक्षा के सन्दर्भ में शोध की महत्ता पर भी बल दिया गया है। एक बहुत ही उपयोगी और महत्त्वपूर्ण पुस्तक।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2021
Edition Year 2021, Ed. 1st
Pages 128p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Prarambhik Shiksha
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Ashutosh Dube

Author: Ashutosh Dube

डॉ. आशुतोष दुबे

डॉ. आशुतोष दुबे पारम्परिक विचार तथा आधुनिक चिन्तन के मंजुल समन्वय के समर्थक हैं। इन्होंने ‘समाजकार्य में भारतीय परम्परागत चिन्तन’ विषय पर शोध-कार्य किया है जो परम्परागत समाजकार्य के क्षेत्र में नितान्त मौलिक एवं श्लाघ्य कार्य के रूप में परिगणित किया जाता है।

राज्य शिक्षा संस्थान, प्रयागराज में प्राचार्य के पद पर कार्य करते हुए इनके द्वारा शैक्षिक शोध-पत्रिका ‘अधिगम’ का सम्पादन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् के तत्त्वावधान में कई शोध-कार्यों का निर्देशन इनके द्वारा किया गया है जिनमें उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जनपदों से सम्बन्धित दो शोध-कार्य भी शामिल हैं। इनके हिस्से में उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जनपदों के विद्यार्थियों में जीवन-कौशलों को प्रोत्साहित करनेवाले क्रियाकलापों और फतेहपुर तथा चित्रकूट के राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत किशोरवय के विद्यार्थियों के उग्र व्यवहारों के कारणों का अध्ययन उल्लेखनीय है।

Read More
Books by this Author

Back to Top