Pathron Ka Kya Hai

Author: Vinay Vishwas
Edition: 2023, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Out of stock
SKU
Pathron Ka Kya Hai

पत्थरों का क्या है विनय विश्वास का यह पहला कविता-संग्रह है। अपने समय के सच से टकराते संवेदनशील मनुष्य के अनुभव इनकी कविताओं का आधार हैं। न यह सच एक जैसा है, न इससे टकराव के अनुभव—इसलिए ये कविताएँ भी एकायामी नहीं। न इनमें प्रकृति और मनुष्य को अलग-अलग किया जा सकता है, न युगीन वास्तव और व्यक्तिगत संसार को। न राजनीति और परिवार को अलग-अलग किया जा सकता है, न शब्द और जीवन को। अनुभव की बहुलता और बहुस्तरीयता इनका ऐसा सच है, जिसने इन्हें दम्भी मुद्राओं की बनावट, कलात्मक दिखाई देनेवाली निरीहता और वहशी अराजकता से बचाकर ज़िन्दगी के प्रति सच्ची कविताएँ बनाया है।

इन कविताओं की सच्चाई उन पर बड़ी सहजता से व्यंग्य करती है, जो धर्म-ईमान की सौदागरी बड़े गर्व से किया करते हैं, दूसरों की मौत से अपनी साँसें खींचा करते हैं, पानी की तरह हर रंग में मिल जाया करते हैं और इनसान होते हुए भी कभी मक्खियों तो कभी केंचुओं को मात दिया करते हैं। इन कविताओं की सच्चाई उन सपनों की लड़ाई में कन्धे से कन्धा मिलाए जूझती है, जिनका भरोसा ईमानदारी और मेहनत की अप्रासंगिक होती पूँजी पर अब भी क़ायम है। इन कविताओं की सच्चाई सम्बन्धों के लगातार क्रूर होते इस्तेमाल का विरोध भी करती है और टूट-टूटकर बनते हुए नए मनुष्य के सौन्दर्य को जीती भी है। इन कविताओं की सच्चाई संवेदनात्मक उद्देश्य की मिट्टी से फूटते वैचारिक भावों के उन अंकुरों की पक्षधर है, जो हवा के ज़हर को ऑक्सीजन की तरह सर्जनात्मक चुनौती देने के लिए ही जन्मे हैं। इन कविताओं की सच्चाई रचना के हर स्तर पर अनुभव से नाभिनालबद्ध होने के कारण अतिरिक्त तराश या सपाटता से मुक्त है। इसीलिए इनमें से बहुत-सी कविताओं को जिस उत्सुकता के साथ पढ़ा गया है, उसी उत्साह के साथ सुना भी गया है।

सम्प्रेषण के संकट से दो-चार होती समकालीन कविता के दौर में ये कविताएँ प्रमाण हैं कि पाठकों और श्रोताओं को एक साथ प्रभावित करनेवाली कविताई बिना कोई रचनागत समझौता किए अब भी सम्भव है। निःसंकोच कहा जा सकता है कि पढ़ी और सुनी जानेवाली कविताओं के बीच की गहरी खाई को पाटते हुए सम्प्रेषण के संकट को सर्जनात्मक तरीक़े से हल करने में इन कविताओं की भूमिका उल्लेखनीय है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2004
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 95p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Pathron Ka Kya Hai
Your Rating
Vinay Vishwas

Author: Vinay Vishwas

विनय विश्वास

(मूल नाम : विनय कुमार जैन)

जन्म : 18 जुलाई, 1962; दिल्ली।

शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.फिल. और पीएच.डी.।

प्रकाशन : एक कविता-संकलन ‘पत्थरों का क्या है’ प्रकाशित, दूसरा शीघ्र प्रकाश्य। दो आलोचना पुस्तकें : ‘आज की कविता’ तथा ‘ऐन्द्रिकता और मुक्तिबोध’।

‘सारिका’, ‘इंडिया टुडे’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘दैनिक हिन्दुस्तान’, ‘जनसत्ता’, ‘राष्ट्रीय सहारा’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘कादम्बिनी’, ‘नया पथ’, ‘समकालीन भारतीय साहित्य’, ‘इन्द्रप्रस्थ भारती’, ‘कथन’, ‘अनभै साँचा’, ‘गगनांचल’, ‘अपूर्व जनगाथा’, ‘व्यंग्य यात्रा’, ‘लमही’, ‘रेत पथ’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर रचनाओं का प्रकाशन।

सम्मान : सन् 2004 का ‘साहित्यिक कृति सम्मान’ और सन् 2014 का दूसरा ‘परम्परा ऋतुराज सम्मान’।

सम्प्रति : हिन्दी विभाग, कॉलेज ऑफ़ वोकेशनल स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोशिएट प्रोफ़ेसर।

 

ई-मेल : vishwasvinay@gmail.com  

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top