Pant Ki Kavya Bhasha : Shaili-Vaigyanik Vishleshan

Author: Kanta Pant
Edition: 2007, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Pant Ki Kavya Bhasha : Shaili-Vaigyanik Vishleshan

आठ अध्यायों में विभाजित तथा शैली विज्ञान पर आधारित कान्ता पंत की महत्त्वपूर्ण आलोचना पुस्तक है : ‘पंत की काव्य-भाषा’। पहला अध्याय कृतियों का परिचय तथा उनके शैलीगत वर्गीकरण का है। इस अध्याय के अध्ययन के उपसंहारस्वरूप यह कहा जा सकता है कि पन्त जी की शैली के तीन रूप मिलते हैं : छायावादी, प्रगतिवादी, अरविन्द-दर्शन और वेदान्तवादी। इनमें सबसे अधिक रचनाएँ तीसरी शैली में हैं, किन्तु उनकी सर्वोत्तम कृतियाँ पहली शैली में हैं। दूसरे अध्याय में पंत जी की शैली के ध्वनि पक्ष पर विचार किया गया है, तो तीसरा अध्याय है—शब्दीय अध्ययन का। ये दोनों अध्याय एक-दूसरे से सम्बद्ध हैं, क्योंकि शैली में शब्द-चयन महत्त्वपूर्ण होता है, और चौथा अध्याय है—रूपीय विश्लेषण का। पाँचवाँ अध्याय वाक्यीय विश्लेषण का है। इसके उपसंहार-स्वरूप पंत जी की शैली को मुख्यतः सरल वाक्यों तथा कुछ-कुछ मिश्रित वाक्यों की शैली कहा जा सकता है। वाक्य स्तर पर उनकी शैली की सबसे बड़ी विशेषता अनावश्यक शब्दों का लोप है। छठा अध्याय ‘अर्थ’ का है। अर्थ के प्रसंग में एक उल्लेखनीय बात यह है कि पंत जी शब्द का नए अर्थों में भी प्रयोग करते हैं। उदाहरणार्थ—‘दो शब्द’, ‘भूमिका’ या ‘प्रस्तावना’ के अर्थ में ‘विज्ञापन’ शब्द का प्रयोग उन्होंने अपनी अधिकांश पुस्तकों में किया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Pant Ki Kavya Bhasha : Shaili-Vaigyanik Vishleshan
Your Rating

Author: Kanta Pant

कान्ता पंत

जन्म : 19 अगस्त, 1935; लाहौर में।

शिक्षा : प्रयाग विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में एम.ए., हिन्दी से एम.ए. और कविवर सुमित्रानंदन पंत पर शोध-कार्य कर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।

देश विभाजन के बाद 1947 में परिवार के साथ इलाहाबाद आईं। यहाँ कविवर सुमित्रानंदन पंत, इलाचन्द्र जोशी, महादेवी वर्मा और प्रयाग के साहित्यकारों का सान्निध्य मिला और साहित्यिक गतिविधियों से सक्रियता से जुड़ीं।

आकाशवाणी और दूरदर्शन के महत्त्वपूर्ण पदों पर रहीं और कई चर्चित धारावाहिक फ़िल्मों का निर्माण और लेखन किया। मीडिया विशेषज्ञ के रूप में कई देशों की यात्रा की।

निधन : 28 अगस्त, 2001

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top