Niyati Ka Yayawar

Author: Harish Anand
Edition: 2012, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Niyati Ka Yayawar

कोई भी रचनाकार अन्ततः अपने समय को समझने और उसे व्याख्यायित करने का शब्दयोग ही तो साधता है। ‘अपने समय’ की परिभाषा हर रचनाकार के लिए अलग-अलग होती है।

...यही ‘समय’ कवि हरीश आनंद की रचनाओं का बीज शब्द है। ‘नियति का यायावर’ संग्रह की कविताओं में समय के अनेक आयामों से साक्षात्कार किया गया है। इस प्रक्रिया में कवि व्यक्ति और समाज के बीच मंडित विखंडित सभ्यता के प्रारूपों का विश्लेषण करता रहता है।

‘यायावर’ अज्ञेय का प्रिय शब्द है।...और हरीश आनंद का भी। उन्हें क्षण की चेतावनी याद रहती है ‘अरे यायावर, रहेगा याद!’ हरीश की कविताएँ वस्तुतः वे सघन अन्तःयात्राएँ हैं जिनकी कुछ स्मृतियाँ शब्दों में समा गई हैं। यही कारण है कि ये कविताएँ विवरणों के अरण्य में भटकती नहीं हैं। संकेतों, बिम्बों, अनुभूतियों व व्यंजनाओं से समृद्ध ये कविताएँ आत्म से आत्मीय संवाद स्थापित करती हैं। इनमें विषय-वैविध्य है। जीवन-दर्शन की अबूझ सच्चाइयों से लेकर उत्तर-आधुनिकता की सभ्यता-समीक्षा तक हरीश आनंद की कविताओं की आवाजाही है।

हरीश आनंद का कवि स्वभाव है कि वे शब्दों को उनके प्रचलित अर्थों से विचलित करते हुए नए निहितार्थों का उत्खनन करते हैं। ‘अर्थ’ कविता में वे शब्दों की ओर से एक गुहार लगाते हैं कि ‘हम तुम्हारी कुंठाओं की/परिभाषाएँ नहीं हैं।’

कवि के स्वभाव में दार्शनिकता सहज रूप से समाविष्ट है, अमूर्तन और पारिभाषिक पुनर्कथन वाले अर्थ में नहीं। हरीश आनंद की दार्शनिकता जीवन की सार्थकता का अनुसंधान करती है।

‘नियति का यायावर’ इसलिए भी एक महत्त्वपूर्ण कविता-संग्रह है क्योंकि इसमें संवेदनाओं के कई मन्द्र स्वर सुनने को मिलते हैं।

कवि ने रंगमंचीय सन्दर्भों का भी अच्छा उपयोग किया है। यह सब सम्भव हुआ है एक प्राणवान, अर्थसम्पन्न और अनवरुद्ध भाषा में। हरीश आनंद शब्दों में निहित गतिशीलता व अर्थसम्भावना के पारखी रचनाकार हैं।

स्वाभाविक रूप से यह संग्रह किसी भी पाठक का सहचर बन सकता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 107p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Harish Anand

Author: Harish Anand

हरीश आनंद

शिक्षा : एम.ए. हिन्दी (दिल्ली विश्वविद्यालय), पोस्ट एम.ए. अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान (केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, दिल्ली)। पोस्ट ग्रेजुएट पत्रकारिता में डिप्लोमा (राजस्थान विश्वविद्यालय), पोस्ट एम.ए. जनसंचार एवं पत्रकारिता (केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, दिल्ली), एम.ए. पत्रकारिता एवं जनसंचार (कोटा विश्वविद्यालय), न्यू मीडिया पर कार्य एवं प्रयोग।

‘वी फिलैट्लिस्ट’ (डाक टिकटों की पत्रिका) का प्रकाशन और सम्पादन एवं डाकियाना प्रदर्शनी—1978 में पत्रिका के लिए प्रथम पुरस्कार (1977 से 1978 तक)।

दैनिक सांध्य समाचार ‘सायंतन’ दिल्ली में सहायक सम्पादक (1978)। मैकमिलन इंडिया लिमिटेड, दिल्ली प्रकाशन संस्थान में हिन्दी प्रचार अधिकारी एवं सम्पादक (1979 से 1982 तक)। श्रेष्ठ प्रचार सामग्री प्रकाशन में लगातार पाँच बार प्रथम पुरस्कार। सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) में हिन्दी ग्रन्थ सम्पादक एवं पत्रिका सम्पादन के साथ-साथ विभिन्न प्रकाशनों का सम्पादन/प्रकाशन (1983-1984)। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार में हिन्दी सम्पादक एवं कई दुर्लभ मोनोग्राफ़्स का प्रकाशन (1985 से 1991 तक)। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार में निदेशक (प्रचार) एवं मुख्य सम्पादक (1991 से)। कई प्रकाशनों का सम्पादन-प्रकाशन।

प्रकाशन एवं अन्य कार्य : मध्य प्रदेश का लोक-नाट्य ‘माच’ पर सचित्र मोनोग्राफ़ (1983)। हिन्दी समाचारों का अनुवाद एवं सम्पादन (1991)। ‘कविता में आदमी’—कविता-संग्रह (1997)। ‘न्यू मीडिया और कॅरियर’ (प्रकाश्य)। सामाजिक सरोकारों पर फ़ि‍ल्म-लेखन और फ़ि‍ल्म-निर्माण (दूरदर्शन, फ़ि‍ल्म प्रभाग) के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर जनसंचारीयता।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिजाइन (एनआईडी) अहमदाबाद, निटी, मुम्बई, भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली (आईआईएमसी) से जनसंचार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विशिष्ट प्रशिक्षण।

‘आलोचना’ पत्रिका में मानद कला-सम्पादक।

ई-मेल: harishanand.media@gmail.com

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