Nirala Ki Kavityan Aur Kavyabhasha

Author: Rekha Khare
Edition: 2015, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Nirala Ki Kavityan Aur Kavyabhasha
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प्रस्तुत पुस्तक में काव्यभाषा के संवेदनात्मक स्तर पर रचना-प्रक्रिया के जटिल और संश्लिष्ट स्वरूप के परीक्षण का प्रयत्न किया गया है। निराला की स्थिति सभी छायावादी कवियों में विशिष्ट रही है। उनका काव्य-व्यक्तित्व सबसे अधिक गत्यात्मक, प्रखर तथा अन्वेषी रहा है, जिसका जीवन्त साक्ष्य प्रस्तुत करती है उनकी काव्यभाषा। काव्यभाषा को लेकर निराला के मानस में रचनात्मक बेचैनी उनके विविध और गतिशील भाषा-स्वरों में देखी जा सकती है। व्यक्ति के रूप में तो एक लम्बे अरसे तक वे उपेक्षित रहे, कवि के रूप में भी उनकी प्रतिभा को सही रूप में बहुत समय तक नहीं पहचाना गया। बाहर मैं कर दिया गया हूँ। ‘भीतर, पर, भर दिया गया हूँ’, में कवि के इस मानसिक द्वन्द्व की ध्वनि सुनी जा सकती है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Edition Year 2015, Ed. 2nd
Pages 208p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Author: Rekha Khare

रेखा खरे

रेखा खरे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हिंदी मे प्रद्यापिका रहीं . इनकी किताब निराला की कवितायेँ और काव्यभाषा को हिंदी जगत में विशिष्ठ स्थान प्राप्त हुआ

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