Nimnavargiya Prasang : Vol. 2

Author: Shahid Amin
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Nimnavargiya Prasang : Vol. 2

‘निम्नवर्गीय प्रसंग’ : भाग 2 आम जनता से सम्बन्धित नए इतिहास को लेकर चल रही अन्तरराष्ट्रीय बहस को आगे बढ़ाने का प्रयास है। 1982 में भारतीय इतिहास को लेकर की गई यह पहल, आज भारत ही नहीं, वरन् ‘तीसरी दुनिया’ के अन्य इतिहासकारों और संस्कृतिकर्मियों के लिए एक चुनौती और ध्येय दोनों है। हाल ही में सबॉल्टर्न स्टडीज़ शृंखला से जुड़े भारतीय उपनिवेशी इतिहास पर केन्द्रित लेखों का अनुवाद स्पैनिश, फ़्रेंच और जापानी भाषाओं में हुआ है।

प्रस्तुत संकलन के लेख आम जनता से सम्बन्धित आधे-अधूरे स्रोतों को आधार बनाकर, किस प्रकार की मीमांसाओं, संरचनाओं के ज़रिए एक नया इतिहास लिखा जा सकता है, इसकी अनुभूति कराते हैं। रणजीत गुहा का निबन्ध 'चन्द्रा की मौत' 1849 के एक पुलिस-केस के आंशिक इक़रारनामों की बिना पर भारतीय समाज के निम्नस्थ स्तर पर स्त्री-पुरुष प्रेम-सम्बन्धों की विषमताओं का मार्मिक चित्रण है। ज्ञान प्रकाश दक्षिण बिहार के बँधुआ, कमिया-जनों की दुनिया में झाँकते हैं कि ये लोग अपनी अधीनस्थता को दिनचर्या और लोक-विश्वास में कैसे आत्मसात् करते हुए ‘मालिकों' को किस प्रकार चुनौती भी देते हैं। गौतम भद्र 1857 के चार अदना, पर महत्त्वपूर्ण बागियों की जीवनी और कारनामों को उजागर करते हैं। डेविड आर्नल्ड उपनिवेशी प्लेग सम्बन्धी डॉक्टरी और सामाजिक हस्तक्षेप को उत्पीड़ित भारतीयों के निजी आईनों में उतारते हैं, वहीं पार्थ चटर्जी राष्ट्रवादी नज़रिए में भारतीय महिला की भूमिका की पैनी समीक्षा करते हैं।

इस संकलन के लेख अन्य प्रश्न भी उठाते हैं। अधिकृत ऐतिहासिक महानायकों के उद्घोषों, कारनामों और संस्मरण पोथियों के बरक्स किस प्रकार वैकल्पिक इतिहास का सृजन मुमकिन है? लोक, व्यक्तिगत, या फिर पारिवारिक याददाश्त के ज़रिए ‘सर्वविदित' घटनाओं को कैसे नए सिरे से आँका जाए? हिन्दी में नए इतिहास-लेखन का क्या स्वरूप हो? नए इतिहास की भाषा क्या हो? ऐसे अहम सवालों से जूझते हुए ये लेख हिन्दी पाठकों के लिए अद्वितीय सामग्री का संयोजन करते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2002, Ed. 1st
Pages 227
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Author: Shahid Amin

शाहिद अमीन

1950 में देवरिया (उत्तर प्रदेश) में जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा दिल्ली और देवरिया में। बी.ए. एवं एम.ए. इतिहास, सेंट स्टीफ़न्स कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से पीएच.डी. और उसके बाद ट्रिनिटी कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में रिसर्च फ़ेलो (1979-1982)। 1982-85 तक जामिया मिलिया इस्लामिया में रीडर। 1985 से अब तक दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन। 1998-2001 तक इतिहास विभाग के अध्यक्ष और 2000-2001 में सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन। यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में अध्यापन। शुरुआत से सबाल्टर्न स्टडीज़ परियोजना से सम्बद्ध।

प्रमुख कृतियाँ : ‘शुगरकेन एंड शुगर इन गोरखपुर’ (1984), ‘ग्लॉसरी ऑफ़ नार्थ इंडियन पेजेंट लाइफ़’ (सम्पादित; 1989), ‘इवेंट, मेटाफ़र, मेमरी : चौरी-चौरा’, 1922-1992 (1995)।

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