Nadi Ko Yaad Nahin

कहानीकार के रूप में सत्येन कुमार व्यक्ति-मन की गहन और सामान्यतः अनछुई अनुभूतियों के चितेरे हैं। उनके पास बहुपरिचित बिम्बों के माध्यम से अनजानी और अपरिचित-सी मनोभूमियों को अभिव्यक्ति देने की कला है जो उन्हें अपने अनेक समकालीनों से अलग करती है। अपने उपन्यासों में वे पात्रों को उनकी तमाम तुच्छताओं और हीनताओं के बावजूद एक तटस्थ सहानुभूति के साथ सामने लाते हैं। न तो कोई मूल्यगत फ़ैसला देने की जल्दबाज़ी हमें उनके पाठ में देखने को मिलती और न ही सृजनात्मकता से इतर किसी प्रचलित साहित्यिक मुहावरे का कोई अतिरिक्त आग्रह।
‘नदी को याद नहीं’ ऐसे ही अहिंसक और जीवंत पाठ का श्रेष्ठ नमूना है। इसमें एक ऐसी स्त्री की कथा कही गई है जिसे थोड़ी-सी असावधानी के चलते आप एक नकारात्मक चरित्र भी मान सकते हैं। लेकिन अगर आप ऐसा नहीं कर पाते तो इसकी एक मात्र वजह लेखक की सजगता और समाज की रूढ़ परिभाषाओं और सामयिक रुझानों के घटाटोप को चीरकर, मनुष्य के भीतर छिपे आदि-दुख को देख पाने की उसकी क्षमता है। यहाँ सत्येन कुमार का कथाशिल्पी अपने इस मुख्य पात्र को इतनी सावधानी और धैर्य के साथ खोलता है कि कई बार लगता है कि आप किसी व्यक्ति के बजाय किसी पुराने, रहस्यमय क़िले के सम्मुख हैं। लेकिन आख़िर तक आते-आते आपका यह आश्चर्य अनुचित साबित हो जाता है, जब आपको पता चलता है कि भारतीय स्त्री अन्तत: दुख का एक रहस्यमय क़िला ही होती है। यही रहस्य उसे कभी पूजनीय बना देता है, कभी उपेक्षणीय और कभी दंडनीय। यह उपन्यास स्त्री-दुख के इस रहस्य को हर पहलू से गहराई तक छूने का प्रयास करता है।
सत्येन कुमार लेखन के अलावा फ़िल्म। रंगमंच फ़ोटोग्राफ़ी और चित्रकला के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे हैं। इसका प्रभाव उनकी भाषा और शिल्प की चित्रात्मकता में साफ़ दिखाई देता है। इसके चलते जहाँ वे अत्यन्त जटिल जीवन स्थितियों को भी सरल और ग्राह्य रूप में अभिव्यक्ति दे पाते हैं, वहीं अन्तरंग—यहाँ तक कि उद्दाम दैहिक प्रसंगों को भी बड़ी कलात्मकता से साधते हैं। स्त्री के व्यक्ति-संकट के अलावा यह उपन्यास सामन्ती तबके के सत्ता-संकट से भी परिचित कराता है जो आधुनिक और सामन्ती मूल्यों के बीच एक सुविधाजनक रास्ता बनाने के लिए समाज को लगभग दिशाहीन बनाए दे रहा है।
Language | Hindi |
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Format | Hard Back |
Publication Year | 1998 |
Edition Year | 1998, Ed. 1st |
Pages | 285p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 18 X 12.5 X 2 |
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