Naariwadi Nigah Se

Author: Nivedita Menon
Translator: Naresh Goswami
Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹224.25 Regular Price ₹299.00
25% Off
In stock
SKU
Naariwadi Nigah Se
- +
Share:

इस किताब की बुनियादी दलील नारीवाद को पितृसत्ता पर अन्तिम विजय का जयघोष सिद्ध नहीं करती। इसके बजाय वह समाज के एक क्रमिक लेकिन निर्णायक रूपान्तरण पर ज़ोर देती है ताकि प्रदत्त अस्मिता के पुरातन चिह्नों की प्रासंगिकता हमेशा के लिए ख़त्म हो जाए। नारीवादी निगाह से देखने का आशय है मुख्यधारा तथा नारीवाद, दोनों की पेचीदगियों को लक्षित करना। यहाँ जैविक शरीर की निर्मिति, जाति-आधारित राजनीति द्वारा मुख्यधारा के नारीवाद की आलोचना, समान नागरिक संहिता, यौनिकता और यौनेच्छा, घरेलू श्रम के नारीवादीकरण तथा पितृसत्ता की छाया में पुरुषत्व के निर्माण जैसे मुद्दों की पड़ताल की गई है। एक तरह से यह किताब भारत की नारीवादी राजनीति में लम्बे समय से चली आ रही इस समझ को दोबारा केन्द्र में लाने का जतन करती है कि नारीवाद का सरोकार केवल ‘महिलाओं’ से नहीं है। इसके उलट, यह किताब बताती है कि नारीवादी राजनीति में कई प्रकार की सत्ता-संरचनाएँ सक्रिय हैं जो इस राजनीति का मुहावरा एक दूसरे से अलग-अलग बिन्दुओं पर अन्तःक्रिया करते हुए गढ़ती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2021
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 240p
Translator Naresh Goswami
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Naariwadi Nigah Se
Your Rating
Nivedita Menon

Author: Nivedita Menon

निवेदिता मेनन

निवेदिता मेनन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली में प्रोफ़ेसर हैं। सीइंग लाइक अ फ़ेमिनिस्ट (2012) एवं रिकवरिंग सबवर्जन : फ़ेमिनिस्ट पॉलिटिक्स बियॉन्ड दि लॉ (2004) उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। उन्होंने एक अन्य पुस्तक पावर ऐंड कंटेस्टेशन : इंडिया आफ़्टर 1989 (2007) का सह-लेखन भी किया है। दो सम्पादित पुस्तकों के अलावा भारतीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय जर्नलों में उनका विपुल लेखन प्रकाशित हुआ है।

समकालीन राजनीति के महत्त्वपूर्ण सामूहिक ब्लॉग काफिला.ऑनलाइन की संस्थापक-सदस्य हैं और इस ब्लॉग प‍र नियमित रूप से लिखती हैं।

उन्होंने हिन्दी तथा मलयालम के गल्प एवं गल्पेतर साहित्य का अंग्रेजी में तथा मलयाली रचनाओं का हिन्दी में अनुवाद  भी किया है। उन्हें कथा द्वारा संस्थापित अनुवाद-पुरस्कार (1994) से सम्मानित किया जा चुका है।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top