Murdahiya

Author: Tulsi ram
Edition: 2023, Ed. 5th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Murdahiya
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‘मुर्दहिया’ का पहला संस्करण 2010 में हिन्दी समाज के सामने आया था, और तब किसी ने सोचा नहीं था कि कुछ ही समय में यह आत्मकथा न सिर्फ दलित हिन्दी साहित्य में, बल्कि पूरे हिन्दी जगत में एक मानक रचना के रूप में स्थापित हो जानेवाली है।
अपनी सृजनात्मकता के लिए इसे दलित आत्मकथाओं की धारा में एक युगान्तरकारी कृति माना गया और अपनी विश्व-दृष्टि के विस्तार तथा औपन्यासिक वितान के चलते एक ऐसी साहित्यिक उपलब्धि जिस पर कोई भी भाषा गर्व कर सकती है।
जाति, वर्ण, अशिक्षा और निम्न-उच्च की अनेक विकृतियों में चरमराते भारतीय समाज की यह कथा लेखक की कलम से तब उतरी जब वह गाँव की मुर्दहिया से लेकर शहरों-महाशहरों और ठेठ निरक्षरों से लेकर सर्वज्ञ विद्वानों तक से प्राप्त अनुभवों तथा अपने अध्यवसाय से इतना परिपक्व हो चुका था कि अपनी देह-आत्मा के बीच से होकर गुजरी पीड़ाओं को बुद्ध की सम-दृष्टि और विराग के साथ देख सके, कह सके।
डॉ. तुलसी राम ने अपनी आत्मकथा के इस पहले खंड में सिर्फ वही नहीं लिखा जिसकी अपेक्षा दलित मूल के आत्मवृत्तान्त-लेखकों से की जाती है, बल्कि वह लिखा जिसे एक जर्जर समाज की असलियत का उत्खनन कहा जा सकता है, और जिसको पढ़ना सिर्फ साहित्य नहीं, समाजशास्त्र की सीमाओं तक जाता है।
और यह उन्होंने प्रतिशोध की कुंठित हदों में नहीं सृजनात्मकता की अछोर भूमि पर किया, जहाँ समाज अपने चेहरे के दागों को भी देख सकता है और अपनी निगाह के इकहरेपन को भी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2010
Edition Year 2023, Ed. 5th
Pages 184p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Tulsi ram

Author: Tulsi ram

डॉ. तुलसी राम

डॉ. तुलसीराम, सेन्टर फ़ॉर रशियन एंड सेन्ट्रल एशियन स्ट्डीज, स्कूल ऑफ़ इन्टरनेशनल स्ट्डीज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत रहे और इस सेन्टर के अध्यक्ष भी रहे। वे विश्व कम्युनिस्ट आन्दोलन तथा रशियन मामलों के विशेषज्ञ भी थे। उक्त विषयों के साथ-साथ ट्रांस काकेशिया एवं बाल्टिक राज्यों की राजनीति पर उनके निर्देशन में लगभग 50 छात्रों ने एम-फ़‍िल. एवं पीएच.डी. की।

डॉ. तुलसीराम को अन्तरराष्ट्रीय बौद्ध आन्दोलन, दलित राजनीति तथा साहित्य में भी विशेषज्ञता हासिल थी। उन्होंने इन विषयों पर सैकड़ों लेख लिखे। एक कट्टर धर्मनिरपेक्ष विद्वान के रूप में मार्क्स, बुद्ध तथा डॉ. अम्बेडकर उनके हीरो रहे। उन्‍होंने 'अश्वघोष’ नामक प्रसिद्ध बुद्धिस्ट एवं साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन भी किया।

उनकी प्रमुख रचनाओं में 'अंगोला का मुक्ति संघर्ष’, 'सी.आई.ए. : राजनीतिक विध्वंस का अमरीकी हथियार’, 'द हिस्ट्री ऑफ़  कम्युनिस्ट मूवमेंट इन ईरान’, 'पर्सिया टू ईरान’ (वन स्टेप फ़ारवर्ड टू स्टेप्स बैक), 'आइडिओलॉजी इन सोवियत-ईरान रिलेशन्स’ (लेनिन टू स्टालिन), 'मुर्दहिया’, ‘मणिकर्णिका’ आदि शामिल हैं।

निधन : 13 फरवरी, 2015

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