Mohabbat Karke Dekho Na

Poetry,Rekhta Books
Author: Farhat Ehsas
You Save 20%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Mohabbat Karke Dekho Na

फ़रहत एहसास अपने समकालीनों में एक मुमताज़ शाइर हैं। इससे पहले फ़रहत एहसास के एक-दो छोटे-छोटे संग्रह उर्दू लिपि में प्रकाशित हुए हैं जो किसी भी तरह उनकी कुल रचनात्मकता की नुमाइंदगी नहीं करते। मेरी दिली ख़्वाहिश थी कि ‘रेख़्ता’ उनकी शाइरी के तमाम रंगों पर आधारित एक संचयन प्रकाशित करे। आज से तीन बरस पहले देखे गए इस ख़्वाब की ताबीर की शक्ल में ये किताब आपके हाथों में है। मैं इसे अपनी ख़ुशनसीबी समझता हूँ कि उनकी शाइरी को उसके हज़ारों पाठकों तक पहुँचाने का श्रेय मेरे हिस्से में आया। इस सफ़र में सबसे मुश्किल मर्हला फ़रहत एहसास को राजी करना था। उनकी तख़लीक़ी बेनियाज़ी उन्हें अपनी शाइरी बाज़ार तक लाने से रोकती रही है। उन्हीं का शे’र है—

एक के बाद एक मज्मूआ मिरा आता रहा

और मैं शाइर बिचारा ग़ैर-मत्‍बूआ रहा।

ऐसे महत्त्वपूर्ण शाइर के कलाम का इन्तिख़ाब करके हम ख़ुशी और फ़ख़्र महसूस करते हैं। फ़रहत एहसास की शाइरी की तरह उनकी ज़िन्दगी भी मेरे लिए उतनी ही पुरकशिश है। उनसे तआरुफ़ का अर्सा अगरचे अभी मुख़्तसर है लेकिन सोचने पर ऐसा लगता है कि हम बरसों के शनासा हैं। ऐसे हम-रंग और हम-मिज़ाज से मिलना मेरे लिए एक ख़ुशगवार अनुभव रहा।

फ़रहत एहसास के मिज़ाज की क़लन्दरी बेबाक़ी और बज़्लासन्जी, उन्हें हरदिल अज़ीज़ बनाती है। फ़रहत एहसास की दिलचस्पियाँ सिर्फ़ शाइरी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि संस्कृति, सभ्यता, इतिहास, धर्मशास्त्र, अध्यात्म, मौसीक़ी और फ़लसफ़े पर उनसे बातचीत एक रौशनी अता करती है। इसके अलावा उनका खुला-डला तर्ज़, व्यापकता और इनसान-दोस्ती का रवैया मेरे लिए ज़ाती तौर पर बहुत मुतास्सिर करनेवाला रहा।

ये मेरी ख़ुशबख़्ती है कि मुझे एक ऐसे शाइर और एक ऐसे इनसान से मिलने, उसके साथ वक़्त गुज़ारने और उनकी शाइरी और शख्स़ियत को इतने क़रीब से जानने का मौक़ा मिला। उम्मीद है कि उर्दू शाइरी के बाज़ौक़ पाठकों में हमारी ये पेशकश भी मक़बूल होगी।

More Information
Language English
Format Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 135p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan - Rekhta Books
Dimensions 21.5 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Mohabbat Karke Dekho Na
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Farhat Ehsas

Author: Farhat Ehsas

फ़रहत एहसास

फ़रहत एहसास (फ़रहतुल्लाह ख़ाँ) बहराइच (उत्तर प्रदेश) में 25 दिसम्बर, 1950 को पैदा हुए। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्ति के बाद 1979 में दिल्ली से प्रकाशित उर्दू साप्ताहिक ‘हुजूम' का सह-सम्पादन। 1987 में उर्दू दैनिक ‘क़ौमी आवाज़’ दिल्ली से जुड़े और कई वर्षों तक उसके इतवार एडिशन का सम्पादन किया जिससे उर्दू में रचनात्मक और वैचारिक पत्रकारिता के नए मानदंड स्थापित हुए। 1998 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली से जुड़े और वहाँ से प्रकाशित दो शोध-पत्रिकाओं (उर्दू, अंग्रेज़ी) के सह-सम्पादक के तौर पर कार्यरत रहे। इसी दौरान उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और बी.बी.सी. उर्दू सर्विस के लिए कार्य किया और समसामयिक विषयों पर वार्ताएँ और टिप्पणियाँ प्रसारित कीं। फ़रहत एहसास अपने वैचारिक फैलाव और अनुभवों की विशिष्टता के लिए जाने जाते हैं। उर्दू के अलावा, हिन्दी, ब्रज, अवधी और अन्य भारतीय भाषाओं और अंग्रेज़ी व अन्य पश्चिमी भाषाओं के साहित्य के साथ गहरी दिलचस्पी। भारतीय और पश्चिमी दर्शन से भी अन्तरंग वैचारिक सम्बन्ध।

सम्प्रति : ‘रेख़्ता फ़ाउंडेशन' में मुख्य सम्पादक के पद पर कार्यरत।

Read More
Books by this Author

Back to Top