Meer Bimar Hue

Author: Fikr Tonswi
Editor: Shaoib Shahid
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Meer Bimar Hue
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"मीर बीमार हुए" फ़िक्र तौंसवी की मज़ाहिया मज़ामीन का मज्मूआ है जिसमें ज़िन्दगी की छोटी-छोटी सितम-ज़रीफ़ियों को बड़ी ही नाज़ुकी से बयान किया गया है। फ़िक्र तौंसवी का व्यंग्य मानवीय है। उन्होंने इसे फ़ह्हाशी और तशद्दुद से, दास्तानों की मसनूइयत से और सबसे बढ़कर मज़ामीन के खोखलेपन और मुनाफ़िक़त से बचाया है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 85p
Translator Not Selected
Editor Shaoib Shahid
Publisher Rajkamal Prakashan - Rekhta Books
Dimensions 19 X 12 X 1
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Author: Fikr Tonswi

फ़िक्र तौंसवी

उर्दू मिज्ञाह के अज़ीम मुसन्निफ़ फ़िक्र तौंसबी (मूल नाम राम लाल भाटिया) की पैदाइश 7 अक्टूबर, 1918 को तौंसा शरीफ़ के मंग्रोथा गाँव में हुई। उनके वालिद, धनपत राय, तौंसा शरीफ के बलूच आदिवासी इलाके में एक दुकानदार थे। फ़िक्र तौंसवी ने शुरूआती तालीम तौंसा शरीफ़ में और आगे की तालीम लाहौर से हासिल की। हिन्दुस्तानी बरें-सग़ीर के बंटवारे के बाद वो दिल्‍ली चले आए।

उन्होंने कई किताबें लिखीं जिनमें ' आधा आदमी ', ' छिलके ही छिलके ', 'चौपट राजा ' और ' फ़िक्र नामा' अहम हैं। उन्होंने लगभग 27 वर्षो तक 'उर्दू मिलाप' में ' प्याज़ के छिलके' नाम से दैनिक स्तंभ लिखा और दुखी मुल्क को हर रोज़ हँसाया।उनका व्यंग्य मानवीय है। उन्होंने इसे फ़ह्हाशी और तशदूदुद से, दास्तानों की मसनूहयत से और सबसे बढ़कर मज़ामीन के
खोखलेपन और मुनाफ़िक़त से बचाया है।

फ़िक्र तौंसवी एक तंज़-निगार से अधिक हमारे सामाजी मुआर्रिख हैं, जिन्होंने हर घर में झाँका और ज़िन्दगी की छोटी-छोटी सितम-ज़रीफ़ियों को इतनी नाज्ुकी से सामने लाया कि हर कोई, जिसमें वो भी शामिल है, जो उसके हमले का निशाना है, उसे इसके बारे में पढ़ने में मजा आता है। हिन्दुस्तान के बँटवारे के दौरान लिखी गई उनके जरीदा, 'छठा दरिया' का  डॉ, माज़ बिन बिलाल ने 'द सिक्स्थ रिवर: ए जर्नल फ्रॉम द पार्टिशन ऑफ़ इंडिया ' के नाम से अंग्रेजी में अनुवाद किया है 12 सितम्बर, 1987 को दिल्ली में उन्होंने  आख़िरी साँस ली ।

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