Maine Chand Tare To Nahin Mange The

Author: Neelima Singh
Edition: 2011, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Maine Chand Tare To Nahin Mange The

इस संकलन की कहानियाँ नारी के उस मनोजगत को अभिव्यक्त करती हैं जिसमें बदलाव की एक प्रक्रिया निरन्तर चल रही है और अपने निर्णय ख़ुद लेने की दिशा में बढ़ती हुई वह यह भी साबित कर रही है कि स्त्रियाँ केवल भावनाओं और संवेदनाओं की प्रतिमूर्ति ही नहीं होतीं, वे समाज में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाने में समर्थ हैं। लेखिका ने बिना बड़बोले नारी-विमर्श और नारी सशक्तीकरण के शोर-शराबे के इन कहानियों को मानवीय संवेदनाओं के धरातल पर उस सामाजिकता के साथ सम्भव किया है जो हमारे समकालीन समाज की पहचान है। इसी वजह से ये कहानियाँ सहज, स्वाभाविक बनकर सर्वग्राही हो सकी हैं।

पुरुषप्रधान समाज द्वारा स्थापित पूजनीयता और दैवीयता जैसी धारणाओं की लक्ष्मण रेखाओं को उलाँघकर आज की नारी एक व्यावहारिक इकाई के रूप में उभरकर आ रही है। थोपी गई पवित्रता के नाम पर आज वह पुनर्विवाह के लिए भी किसी का मुँह नहीं देखती। इन कहानियों के आईने से अपने समाज को देखें तो पता चलता है कि मैथिलीशरण गुप्त की पंक्ति ‘आँचल में है दूध और आँखों में पानी’ की नारी-मूर्ति अब ज़्यादा अर्थ नहीं रखती। ये स्त्रियाँ अपने पुत्रों के समक्ष अपने द्वारा किए गए त्याग और दी गई ममता का प्रत्युत्तर भी माँगती हैं। नारी जगत को एक नए दृष्टिकोण के साथ अभिव्यक्त करने वाली ये कहानियाँ पाठक को आरम्भ से अन्त तक बाँधे रखने की क्षमता से लैस हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 128p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Maine Chand Tare To Nahin Mange The
Your Rating
Neelima Singh

Author: Neelima Singh

नीलिमा सिंह

जन्म : 6 दिसम्बर; पटना में।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी., बी.एड. पटना विश्वविद्यालय।

सक्रियता : पिछले कई वर्षों से कहानी, कविता और निबन्ध लेखन। पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित तथा आकाशवाणी से प्रसारित। नारी सशक्तीकरण से सम्बन्धित सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से सम्बद्ध।

प्रकाशन : ‘मैंने चाँद तारे तो नहीं माँगे थे’, ‘मैं और मेरी कविता’।

सम्प्रति : व्याख्याता, हिन्दी विभाग, बी.डी. कॉलेज, पटना (बिहार)।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top