‘महाभियोग’ भोपाल गैस कांड और उसके बाद सालों तक इस भयावह त्रासदी को लेकर समाज, देश, सामाजिक कार्यकर्ताओं, प्रेस और न्याय व्यवस्था के चक्रव्यूह में जो चला, उसकी कहानी है। तथ्यपरकता और सघनता में इतनी वास्तविक कि भ्रम होता है कि कहीं लेखक इसमें ख़ुद भी तो मौजूद नहीं, और ये सारे चरित्र भी, जो एक तरफ़ भारत के साधारण जन-गण के जीवन और सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ़ अपने जीवन में भी सत्ता के परम्परा-प्रसूत वर्चस्व से जूझ रहे हैं। यह सामूहिक लेकिन बहुस्तरीय संघर्षशीलता ही इस विराट कथा की नायिका है।

नब्बे और उसके बाद जन्मे लोग, बहुत सम्‍भव है कि इस घटना के बारे में बहुत मूर्त ढंग से कुछ न सोच पाते हों, उनके लिए यह उपन्यास सिर्फ़ इसलिए भी ज़रूरी है कि शायद पहली बार किसी उपन्यास में वे विवरण आए हैं, जो उन्हें उस त्रासदी की भयावहता को महसूस करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही उस पूरे वैचारिक, सामाजिक और प्रशासनिक-न्यायिक विमर्श को जानने में भी, जो बरसों चलता रहा।

यह उपन्यास समाज और सरकार के बीच स्वयंसेवी संगठनों की भूमिका को लेकर भी कुछ महत्त्वपूर्ण उद्घाटित करता है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2016
Edition Year 2016, Ed. 1st
Pages 304p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Anjali Deshpande

Author: Anjali Deshpande

अंजली देशपांडे

जन्म 1954 में। पेशे से पत्रकार। आप छात्र आन्‍दोलन से नारी मुक्ति आन्‍दोलन तक अनेक आन्‍दोलनों से जुड़ी रही हैं। आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए. किया। दिल्ली पत्रकार संघ के लिए ‘26/11’ यानी मुम्‍बई पर आतंकी हमले की मीडिया में रिपोर्टिंग पर आप चर्चित समालोचना की सह-लेखिका हैं। राजस्थान में बँधुआ मज़दूरी और दिल्ली में घरेलू कामकाज में बाल मज़दूरी पर आपके दो शोध-पत्र भी प्रकाशित।
आप हिन्‍दी-अंग्रेज़ी, दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं।
आपने कई नुक्कड़ नाटक लिखे और उनमें अभिनय भी किया। अंग्रेज़ी में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस के स्कूली पाठ्यक्रम और वेब मैगज़ीन 'आउट ऑफ़ प्रिंट' सहित हिन्‍दी और अंग्रेज़ी में आपकी कई कहानियों का प्रकाशन।  
भोपाल गैस त्रासदी की पृष्ठभूमि पर अंग्रेज़ी में आपका पहला उपन्यास, 'इम्पीचमेंट' 2012 में प्रकाशित।

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