Mahabharat : Ek Navin Rupantaran

Author: Shiv K. Kumar
Translator: Prabhat K. Singh
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Mahabharat : Ek Navin Rupantaran
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‘महाभारत’ विश्व-इतिहास का प्राचीनतम महाकाव्य है। होमर की ‘इलियड’ और ‘ओडीसी’ से कहीं ज़्यादा प्रवीणता के साथ परिकल्पित और शिप्लित यह रचनात्मक कल्पना की अद्भुत कृति है। ऋषि वेदव्यास द्वारा ईसा के प्रायः 2000 वर्ष पूर्व रचित इस महाकाव्य में लगभग समस्त मानवीय मनोभावों—प्रेम और घृणा, क्षमा और प्रतिशोध, सत्य और असत्य, ब्रह्मचर्य और सम्भोग, निष्ठा और विश्वासघात, उदारता और लिप्सा—की सूक्ष्म प्रस्तुति मिलती है।

यों तो ‘महाभारत’ भारतीय मानस में रचा-बसा ग्रन्थ है, पर इसने सम्पूर्ण विश्व के पाठकों को आकर्षित किया है। शायद इसीलिए इस महाकाव्य का रूपान्तर विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में हुआ है। परन्तु विस्मय होता है यह देखकर कि ज़्यादातर रूपान्तरों में इसकी क्षमता का प्रतिपादन एक काव्यात्मक सौन्दर्य और सुगन्ध से समृद्ध कथा के रूप में नहीं हो पाया है। सम्भवतः इसलिए कि लेखकों ने मूलतः इसके कहानी पक्ष को ही प्रधानता दी।...किन्तु इस पुस्तक के लेखक शिव के. कुमार ने इसी कारण इस महाकाव्य में कुछ रंग और सुगन्ध भरने का प्रयास किया है।

यह वस्तुतः ‘महाभारत’ का एक नवीन रूपान्तर है। ‘महाभारत’ एक अद्वितीय रचना है। यह काल और स्थान की सीमाओं से परे है। इसलिए हर युग में इसके साथ संवाद सम्भव है। वर्तमान युग में भी सामाजिक न्याय, राजनीतिक स्वार्थजनित राष्ट्र विभाजन, नारी सशक्तिकरण और राजनेताओं के आचरण के सन्दर्भों में इसका आर्थिक औचित्य है। अंग्रेज़ी से हिन्दी में इस कृति का अनुवाद करते हुए प्रभा के. सिंह ने हिन्दी भाषा की प्रकृति का विशेष ध्यान रखा है। समग्रतः एक अनूठी रचना।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 344p
Translator Prabhat K. Singh
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Shiv K. Kumar

Author: Shiv K. Kumar

शिव के. कुमार

अंग्रेज़ी के मूर्धन्य रचनाकार व चिन्तक।

जन्म : लाहौर।

शिक्षा : लाहौर और इंग्लैंड में। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।

उस्मानिया विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर रहे। सेंट्रल गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी ऑफ़ हैदराबाद के वाइस चांसलर पद पर कार्य किया। अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में वर्षों अंग्रेज़ी का अध्यापन किया।

प्रकाशन : विश्व के प्रतिष्ठित प्रकाशनों से कविता, उपन्यास, नाटक और अनुवाद की 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित।

कविताओं और कहानियों का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में प्रकाशन।

बी.बी.सी. प्रसारण सेवा से अनेक रचनाएँ प्रसारित।

आपके रचनात्मक योगदान पर तीन आलोचनात्मक पुस्तकें प्रकाशित।

प्रमुख सम्मान : साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1986), रॉयल सोसायटी ऑफ लिटरेचर, लन्दन के फ़ेलो चयनित (1978) एवं पद्मभूषण (2001)।

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