Madhopur Ka Ghar

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Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Madhopur Ka Ghar
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माधोपुर का घर उपन्यास लगभग सौ साल यानी तीन पीढ़ियों की कहानी कहता है जिसके माध्यम से उत्तर बिहार का सामाजिक यथार्थ जानने को मिलता है। राजनीति बिलकुल अन्तर्धारा सी चलती है। ...चूँकि एक सम्पन्न खेतिहर गाँव की कहानी है सो उसके ह्रास की बात स्वतः ही कह जाती है। शिक्षण-प्रश‌िक्षण तथा कृष‌िकार्य से सीधे जुड़े, प्रशासन को बरतनेवाले की ज़ुबान से निकला सब कुछ सत्य प्रतीत होता है।

उषा​किरण खान

माधोपुर का घर उस जीवन और सचाई की तलाश है जिसे उपन्यास या कहानी के साँचे में नहीं ढाला जा सकता। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सचाई पर ‘फॉर्म’ का दबाव उसके प्रभाव को कम करता है। यही वजह है कि त्रिपुरारि बात कहने पर ज़ोर देते हैं उसके आगे-पीछे कल्पना या उसे प्रामाणिक बनाने के लिए कोई जाल नहीं बुनते।

दरअसल जीवन अपने आप में इतना कलात्मक है कि उस पर ‘सचाई’ की कोई और परत चढ़ाई नहीं जा सकती। ‘माधोपुर का घर’ भी सचाई की ऐसी सरल दास्तान है जो बिना ‘बैसाख‌ियों’ के सहारे सीधे पाठक तक पहुँची है।

असग़र वजाहत

माधोपुर का घर अनेक घरों की बेघरी का उपन्यास है। विस्थापन की पीड़ा का उपन्यास है। उपन्यास की कहानी एक कुत्ते की ज़ुबानी सुनाई जा रही है जो इस उथल-पुथल का मूक गवाह बना रहा। सबसे अधिक पीड़ा भोगता रहा। एक अनूठी कथा शैली में लिखी पीढ़ी-पीढ़ी बिखरते परिवार की कहानी।

—प्रभात रंजन

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 232p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Tripurari Sharan

Author: Tripurari Sharan

त्रिपुरारि शरण

त्रिपुरारि शरण का जन्म सन् 1961 में हुआ। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक तथा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर किया। छात्र जीवन के दौरान ‘दिनमान’ के लिए फिल्म समीक्षाएँ लिखीं। कई पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित। लम्बे प्रशासनिक जीवन के दौरान राज्य व केन्द्र सरकार के कई महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर रहे। भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे के निदेशक और दूरदर्शन के महानिदेशक रहे। पुणे के कार्यकाल के दौरान अपने छात्रों के साथ दो अलग-अलग फीचर फिल्मों का पटकथा लेखन और निर्माण किया। मुख्य सचिव, बिहार के पद से सेवानिवृत्त हुए।

सम्प्रति : राज्य सूचना आयुक्त, बिहार।

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