Lokbharti Brihat Pramanik Hindi Kosh

Translator: Translator One
Edition: 2023, Ed. 14th
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Lokbharti Brihat Pramanik Hindi Kosh
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आचार्य रामचन्द्र वर्मा द्वारा सम्पादित ‘बृहत् प्रामाणिक हिन्दी कोश’ का उपयोग पिछले कई वर्षों से हिन्दी-प्रेमी निरन्तर करते चले आ रहे हैं।

प्रस्तुत बृहत् संस्करण वर्मा जी के मानदंडों के अनुरूप तथा वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। सैकड़ों शब्दों को ढूँढ़-ढूँढ़कर इस कोश में स्थान दिया गया है जो पहले से हमारी भाषा के अंग हैं, परन्तु जिनका आज तक कोशों में समावेश नहीं हो पाया। आंचलिक तथा प्रादेशिक रचनाकारों के कुछ ऐसे शब्दों को भी इस कोश में स्थान दिया गया है जो हिन्दी साहित्य में अपना स्थान बना पाए हैं। समस्त पदों में पूर्वपद या उत्तरपद के रूप में कुछ विशिष्ट शब्दों के योग से बने नए शब्दों की बहुलता भी इस कोश में दर्शनीय है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, वाणिज्य, प्रशासन, जनसंचार आदि क्षेत्रों में प्रयुक्त होनेवाले अंग्रेज़ी भाषा के ऐसे शब्दों को भी इस कोश में स्थान दिया गया है, जिनका व्यापक रूप से इधर प्रयोग हो रहा है। इस कोश में पहली बार ऐसे सैकड़ों क्रिया-विशेषण, विशेषण तथा संज्ञा शब्दों की प्रविष्टियाँ मिलेंगी जो सम्बन्धबोधकों की तरह प्रयुक्त होते हैं। इधर सहस्रों हिन्दी शब्दों में नए अर्थ विकसित हुए हैं। ऐसे अर्थों को सँजोने तथा विश्लेषित करने का काम इस बृहत् संस्करण का विशेष ध्येय रहा है।

अरबी, फ़ारसी, तुर्की आदि के अधिकतर प्रचलित शब्दों को मूल शुद्ध रूप में दिखाने का प्रयास किया गया है। अनेक शब्द भेदों में जिन शब्दों को बाँटा जा सकता है, ऐसे शब्दों को प्रयोग के आधार पर क्रिया-विशेषण, योजक, निपात, विस्मयादिक, सम्बन्धबोधक आदि नामों से अभिहित किया गया है। लिंग-सम्बन्धी भी अनेक भूलें ठीक की गई हैं। अनेक शब्दों की व्युत्पत्ति में भी सुधार किया गया है।

इधर सहस्रों नए शब्द हमारी भाषा में प्रविष्ट हुए हैं। इनमें से जिनका पत्र-पत्रिकाओं में विशेष रूप से प्रयोग देखने को मिला, उन्हें इस नवीन संस्करण में सम्मिलित कर लिया गया है।

निश्चय ही यह कोश, विद्यार्थियों, लेखकों, अध्यापकों, सम्पादकों, पत्रकारों, शोधार्थियों इत्यादि के लिए अत्यन्त उपयोगी तथा विश्वसनीय है।

 

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2012
Edition Year 2023, Ed. 14th
Pages 1122p
Translator Translator One
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 24.5 X 18.5 X 4.5
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Ramchandra Verma

Author: Ramchandra Verma

रामचन्द्र वर्मा

रामचन्‍द्र वर्मा का जन्म सन् 1890 में काशी के एक सम्मानित खत्री परिवार में हुआ था। वर्मा जी की पाठशालीय शिक्षा साधारण ही थी, किन्तु अपने विद्याप्रेम के कारण उन्होंने विद्वानों के संसर्ग तथा स्वाध्याय द्वारा हिन्दी के अतिरिक्त उर्दू, फ़ारसी, मराठी, बांग्ला, गुजराती, अंग्रेज़ी आदि कई भाषाओं का अच्छा अध्ययन कर लिया था। उन्‍होंने विभिन्न भाषाओं के ग्रन्थों के आदर्श अनुवाद प्रस्तुत किए हैं, जिनमें ‘हिन्दू राजतंत्र’, ‘ज्ञानेश्वरी’, ‘छत्रसाल’ आदि पुस्तकें उल्‍लेखनीय हैं।

वर्मा जी की स्थायी देन भाषा के क्षेत्र में है। अपने जीवन का अधिकांश उन्होंने शब्दार्थनिर्णय और भाषापरिष्कार में बिताया। उनका आरम्भिक जीवन पत्रकारिता का रहा। वे सन्‌ 1907 में 'हिन्दी केसरी' के सम्पादक हुए। फिर 'बिहार बन्धु' का योग्यतापूर्वक सम्पादन किया। बाद में ‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका’ के सम्पादक-मंडल में रहे। वे ‘नागरी प्रचारिणी सभा’, काशी से सम्पादित होनेवाले 'हिन्दी शब्दसागर' में सहायक सम्पादक नियुक्त हुए, जिसमें 1910 से 1929 तक कार्य किया। बाद में उन्हें 'संक्षिप्त हिन्दी शब्दसागर' के सम्‍पादन का भार सौंपा गया।

वर्मा जी की अनूठी हिन्दी-सेवा के कारण भारत सरकार ने उन्हें 'पद्मश्री' से सम्मानित किया था। अन्तिम काल में उन्होंने हिन्दी का एक बृहत्‌ कोश 'मानक हिन्दी कोश' के नाम से तैयार किया, जो पाँच खंडों में ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ से प्रकाशित हुआ।

उनकी प्रसिद्ध कृतियाँ हैं—‘अच्छी हिन्दी’, ‘हिन्‍दी प्रयोग’, ‘कोश कला’, ‘उर्दू-हिन्दी कोश’, ‘उर्दू-हिन्‍दी-अंग्रेज़ी त्रिभाषी कोश’, ‘लोकभरती बृहत् प्रामाणिक हिन्दी कोश’, ‘लोकभरती प्रामाणिक हिन्‍दी बाल-कोश’ आदि।

सन्‌ 1969 में उनका निधन हुआ।

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