शास्त्रीय नृत्य-जगत में दशकों तक रोहिणी भाटे एक सुदीक्षित प्रयोगशील कथक नर्तकी, प्रसिद्ध कथक-गुरु और कथक के विभिन्न पक्षों पर विचारशील आलोचक के रूप में सुप्रतिष्ठित थीं। उनके काम का विशेष महत्त्व इसलिए भी है कि उन्होंने विचार और प्रयोग के स्तर पर कथक को प्राचीन शास्त्र-परम्परा से जोड़कर उसमें नई छाया और प्रासंगिकता उत्पन्न की। उनके समय-समय पर व्यक्त विचार, अनुभव और विश्लेषण 'लहजा' में एकत्र हैं और उन्हें हिन्दी में प्रस्तुत कर नृत्यप्रेमी रसिकों और कथक जगत् को एक अनूठा उपहार दिया जा रहा है।
—अशोक वाजपेयी।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Sunita Purohit |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2018 |
Edition Year | 2018, Ed. 1st |
Pages | 340p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 24 X 16 X 3.5 |