Lautati Dopaharein

Author: Sonnet Mondal
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Lautati Dopaharein
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सॉनेट मंडल अंग्रेजी कविता और साहित्य के सुपरिचित नाम हैं। हिन्दी में यह उनका पहला कविता-संग्रह है। लौटती दोपहरें  की कविताएँ पढ़कर लगेगा कि ये एक ध्यानस्थ मस्तिष्क से प्रसूत रचनाएँ हैं। एक मन जो पूर्ण एकाग्रता की एक सीधी रेखा पर स्वयं को, अपने बहुत निकट से प्रसरित होकर ब्रह्मांड के छोर तक जाते समय को, अपने अतीत को और उस बीते, लेकिन कहीं अब भी ठहरे हुए काल में फॉसिल्स की तरह जमी स्मृतियों को बहुत ललक से देखता है।

वे कहते हैं—‘समय मेरी अदृश्य छाया है/उजाले में अदृश्य/नंगी आँखों से छिपी/सहज-बोध के लिए खुली।’ इस समय को पकड़ने और इन कविताओं के अन्तस तक पहुँचने के लिए हमें एक समतल अहसास के रास्ते पर चलना होता है। उनके कवि ने अपनी हर पद-चाप को ध्यान से सुना है, और बहुत करीने से कविता में निथारा है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 116p
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Sonnet Mondal

Author: Sonnet Mondal

सॉनेट मंडल

सॉनेट मंडल का जन्म 30 दिसम्बर, 1990 को कोलकाता में हुआ। उन्होंने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी, शिबपुर से बी.टेक. किया है। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—एन आफ़्टरनून इन माय माइंड, कार्मिक चैंटिंग, इंक एंड लाइन। पाँच अन्य कविता-संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने अमेरिका, मैसेडोनिया, आयरलैंड, तुर्की, निकारागुआ, श्रीलंका, जर्मनी, इटली, आदि देशों के साहित्यिक समारोहों में कविता पाठ किया है। उनकी कविताएँ राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। हालिया रचनाएँ हार्पर बाज़ार, वर्जीनिया क्वार्टरली रिव्यू, स्टैंड मैगज़ीन, वर्ड्स विदाउट बॉर्डर्स, सिंगिंग इन द डार्क, लुवीना मैगज़ीन, ला ओट्रा, समकालीन साहित्य, क्योटो जर्नल, पोटोमैक रिव्यू, पोएट्री साल्ज़बर्ग रिव्यू, और मैस्कैरा लिटररी रिव्यू में प्रकाशित हुई हैं। वे 2014 से 2016 तक आयोवा विश्वविद्यालय में अन्तर्राष्ट्रीय लेखन कार्यक्रम के सिल्क रूट परियोजना के लेखकों में से एक थे। वे कोलकाता के अन्तर्राष्ट्रीय कविता महोत्सव, चेयर पोएट्री ईवनिंग्स के संस्थापक-निदेशक, लिरिक लाइन (हौस फ़र पोज़ी, बर्लिन) के भारतीय विभाग के सम्पादक तथा वर्सवील पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक हैं। वर्ड्स विदाउट बॉर्डर्स और पोएट्री ऐट संगम के अतिथि सम्पादक रह चुके हैं। उनकी रचनाओं का हिन्दी, बंगाली, मराठी, स्पैनिश, पुर्तगाली, इतालवी, चीनी, तुर्की, स्लोवाक, मैसेडोनियन, फ्रेंच, रूसी, यूक्रेनी, स्लोवेनियाई, हंगेरियन और अरबी में अनुवाद हुआ है। उन्हें 2016 में गायत्री गामर्श स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 2020 में टैगोर साहित्य पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया।

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