“जब कभी अपनी अजीबोग़रीब हरकतों के पीछे अपने अन्तश्चेतन की प्रेरणाओं को एक कोलाज में रखकर देखता हूँ तो एक अजीब-सा चित्र बनता है मेरे व्यक्ति का। सिर से जानवर। धड़ से मनुष्य जैसा। सुअर मानव।...वाराह अवतार। बस इसमें से अवतार की दिव्यता हटा दें। गले तक कटीले, आशाओं और कामनाओं से भरी जीवन की अपनी चिथड़ा-चिथड़ा हुई गठरी को सँभाले। अपनी इसी गर्हित भूमिका में अपनी सार्थकता और मुक्ति की तलाश करता हुआ...”

—इसी उपन्यास से।

बाहर से एक छोटी-सी जीवन स्थिति लेकिन गहरे में कितने-कितने द्वन्द्वों, तनावों, समझौतों की दुनिया जिसमें हर व्यक्ति पल-प्रतिपल टूट रहा है, ढह रहा है...फिर भी अपने को बचाए रखने की कोशिश-दर-कोशिश किए जा रहा है। भ्रष्ट और जर्जर आदमी के ढाँचे में मनुष्यता की दीप्ति जलती हुई। इसलिए आशा अब भी है!

बल्लभ सिद्दार्थ ने इस छोटे-से उपन्यास को लिखने में दस से ज्‍़यादा वर्ष लगाए हैं। पात्र गिने-चुने हैं पर प्रत्येक के भीतर कितना विशाल संसार...कहानी छोटी-सी—गिने-चुने लोगों का जीवन-संघर्ष, पर ज्यों-ज्यों वह खुलता है, आधुनिक भारतीय समाज की हज़ारों विसंगतियों को उकेरता है...और सब कुछ लेखक की कलात्मक छुअन से—जहाँ फैलाकर कुछ नहीं कहा जाता, इशारा-भर कर दिया जाता है।

अगर साहित्य ज़िन्दा रहने की ताक़त पाने के लिए पढ़ा जाता है तो ‘कठघरे’ एक उम्दा मिसाल है, जिसकी जीवन-दर्शन से भरी कितनी पंक्तियों को संचित किया जा सकता है, उनसे लटककर जीवन काटा जा सकता है।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1997
Edition Year 2002, Ed. 2nd
Pages 141p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 18.5 X 12.5 X 1
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Author: Ballabh Sidharth

बल्‍लभ सिद्धार्थ

जन्‍म : 1 अप्रैल, 1937 को झाँसी के एक छोटे से क़स्बे मऊरानीपुर में।

शिक्षा : प्रयाग विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में एम.ए.।

प्रमुख कृतियाँ : ‘महापुरुषों की वापसी’, ‘शेष प्रसंग’, ‘नित्य प्रलय’, ‘ब्लैक आउट’, ‘दूसरे किनारे’ (कहानी-संग्रह); 'कठघरे' (उपन्यास); ‘महाभारत के पात्रों का अन्तर्मन’, ‘ताकि सनद रहे’, ‘ऐतिहासिक संस्मरण’, ‘संवाद अनायास’ (विमर्श); ‘तीन महान ग्रीक त्रासदियाँ’ (नाटक); ‘काफ़्का से संवाद’, ‘दंडदीप में’ (काफ़्का की तीन लम्‍बी कहानियाँ); ‘जलपरी’ (पुश्किन का नाटक), ‘पुश्किन की जीवनी’ (हेनरी त्रोएत); ‘हमशक्ल’, ‘एक हिमपात की कहानी’ (दोस्तोएवस्की के उपन्यास); ‘युद्ध और शान्ति’, ‘आन्ना कारेनिना’ (लेव तोलस्तोय): ‘मृतात्माएँ’ (गोगोल); ‘गोदो का इन्‍तज़ार’ (सैम्युअल बैकैट का नाटक), ‘मक्खियाँ’ (ज्याँ पाल सार्त्र); ‘आत्मा और कटीले तारों का घेरा' (अलेक्ज़ेंडर सोल्ज़ेनीत्सिन); ‘इलियड’ (होमर); ‘डिवाइन कॉमेडी’, ‘नवजीवन’ (दांते); ‘दांते की जीवनी’ (वाकेसियो); ‘प्रेत’ (इब्सन) आदि (अनुवाद)।

 

 

 

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