Kashmir Aur Kashmiri Pandit : Basne Aur Bikharne Ke 1500 Saal-Hard Back

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9789389577259
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यह किताब कश्मीर के उथल-पुथल भरे इतिहास में कश्मीरी पंडितों के लोकेशन की तलाश करते हुए उन सामाजिक-राजनैतिक प्रक्रियाओं की विवेचना करती है जो कश्मीर में इस्लाम के उदय, धर्मान्तरण और कश्मीरी पंडितों की मानसिक-सामाजिक निर्मिति तथा वहाँ के मुसलमानों और पंडितों के बीच के जटिल रिश्तों में परिणत हुईं। साथ ही, यह किताब आज़ादी की लड़ाई के दौरान विकसित हुए उन अन्‍तर्विरोधों की भी पहचान करती है जिनसे आज़ाद भारत में कश्मीर, जम्मू और शेष भारत के बीच बने तनावपूर्ण सम्बन्धों और इस रूप से कश्मीर घाटी के भीतर पंडित-मुस्लिम सम्बन्धों ने आकार लिया।
नब्बे के दशक में पंडितों के विस्थापन के लिए ज़िम्मेदार परिस्थितियों की विस्तार से विवेचना करते हुए यह किताब विस्थापित पंडितों के साथ ही उन कश्मीरी पंडितों से संवाद स्थापित करती है जिन्होंने कभी कश्मीर नहीं छोड़ा, और उनके वर्तमान और भविष्य के आईने में कश्मीर को समझने की कोशिश करती है।
धारा 370 हटाए जाने से पहले और बाद में, दोनों स्थितियों में, घाटी में रह रहे पंडितों के आख्यान को शामिल करनेवाली यह पहली किताब है जिसके लिए लेखक ने कश्मीर के विभिन्न इलाक़ों में यात्राएँ की हैं और पंडित परिवारों से विस्तार से बातचीत की है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2021, Ed 2nd
Pages 400p
Price ₹999.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3
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You're reviewing:Kashmir Aur Kashmiri Pandit : Basne Aur Bikharne Ke 1500 Saal-Hard Back
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Ashok Kumar Pandey

Author: Ashok Kumar Pandey

अशोक कुमार पांडेय

कश्मीर के इतिहास और समकाल तथा भारत के आधुनिक इतिहास के विशेषज्ञ के रूप में सशक्त पहचान बना चुके अशोक कुमार पांडेय का जन्म 24 जनवरी, 1975 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ ज़िले के सुग्गी चौरी गाँव में हुआ। वे गोरखपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक हैं। कई विधाओं में लेखन के बाद पिछले काफी समय से इतिहास लेखन में सक्रिय हैं। ‘कश्मीरनामा’, ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’, ‘उसने गांधी को क्यों मारा’ और ‘सावरकर : काला पानी और उसके बाद’ उनकी बहुचर्चित पुस्तकें हैं।

ई-मेल : ashokk34@gmail.com

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