Kareeb Se

Author: Johra Sehgal
Translator: Deepa Pathak
Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Kareeb Se

ज़ोहरा सहगल की यह आत्मकथा मंच और फ़िल्मी पर्दे पर उनकी लगभग सौ साल लम्बी मौजूदगी का एक बड़ा फलक पेश करती है। भारत और इंग्लैंड दोनों जगह समान रूप से सक्रिय रहीं ज़ोहरा सहगल इसमें अपने बचपन से लेकर अब तक की ज़िन्दगी का दिलचस्प ख़ाका खींचती हैं।

1930 में ज़ोहरा आपा ड्रेस्डेन, जर्मनी में मैरी विगमैन के डांस-स्कूल में आधुनिक नृत्य का प्रशिक्षण लेने के लिए गईं। नवाबों की पारिवारिक पृष्ठभूमि से आईं एक भारतीय युवती के लिए यह फ़ैसला अस्वाभाविक था। लेकिन कुछ अलग हटकर करने का नाम ज़ोहरा सहगल है। 1933 में वे वापस आईं और 1935 में उदयशंकर की अल्मोड़ा स्थित प्रसिद्ध नाट्य दल से जुड़ीं। कामेश्वर सहगल भी इसी कम्पनी में थे जिनसे 1942 में उनकी शादी हुई।

इस दौर के अपने सफ़र के बाद ज़ोहरा सहगल इस आत्मकथा में पृथ्वी थिएटर और पृथ्वीराज कपूर से जुड़े अपने लम्बे और गहरे अनुभव के दिनों का लेखा-जोखा देती हैं। पृथ्वी थिएटर में अपने चौदह साल उन्होंने भारतीय रंगमंच के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय के बीचोबीच बिताए। इप्टा का बनना और फिर निष्क्रिय हो जाना भी उन्होंने नज़दीक से देखा। इस पूरे दौर का बहुत पास से लिया गया जायज़ा इस आत्मकथा में शामिल है।

इसके बाद इंग्लैंड में बीबीसी टेलीविज़न, ब्रिटिश ड्रामा लीग, और अनेक धारावाहिकों तथा फ़िल्मों के साथ अभिनेत्री के रूप में उनका जुड़ाव, और इस दौरान ब्रिटिश रंगमंच की महान हस्तियों से उनकी मुलाक़ातों के विवरण, ‘मुल्ला नसीरुद्दीन’ जैसे भारतीय धारावाहिकों में काम करने के अनुभव, इस आत्मकथा को एक ख़ास दिलचस्पी से पढ़े जाने की दावत देते हैं। साथ में ज़ोहरा आपा का चुटीला अन्दाज़, उसके तो कहने ही क्या!

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 244p
Translator Deepa Pathak
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Kareeb Se
Your Rating
Johra Sehgal

Author: Johra Sehgal

ज़ोहरा सहगल

“आठ साल दादा (उदय शंकर) के साथ, चौदह साल पापाजी (पृथ्वीराज कपूर) के साथ, इंग्लैंड में 25 साल तक टेलीविज़न में काम। लेकिन जब मैं 1987 में भारत लौटी तो इन सबकी कोई अहमियत नहीं थी जब तक कि मुझे एक हिन्दी फ़िल्म में छोटा-सा रोल नहीं मिला!”

27 अप्रैल, 1912 को जन्मी ज़ोहरा सहगल के जीवन का खुलासा करता यह लेखा-जोखा जोशीला, कटाक्ष करता और दो-टूक अन्दाज़ में सच को बयान करनेवाला है—तक़रीबन सौ साल की ज़िन्दगी में हिन्दुस्तान और इंग्लैंड में मंच और स्क्रीन की दुनिया के उनके तज़ुर्बों का चिट्ठा।

ज़ोहरा सहगल 1930 में लीक से परे जाकर जर्मनी गईं जहाँ उन्होंने ड्रेसडेन में मैरी विगमैन के डांस स्कूल में आधुनिक डांस की तालीम ली। यह एक असाधारण फ़ैसला था—ख़ासतौर पर शाही ख़ानदान से ताल्लुक रखनेवाली एक कमउम्र भारतीय मुसलमान लड़की के लिहाज़ से यह फ़ैसला और भी ख़ास था। लेकिन ज़ोहरा सहगल कुछ और नहीं असाधारण ही तो थीं। 1933 में वह हिन्दुस्तान वापस लौटीं और 1935 में वह सिमकी और एक साथी डांसर कामेश्वर के साथ अल्मोड़ा में उदय शंकर की मशहूर डांस एकेडमी से जुड़ गईं। 1942 में उन्होंने कामेश्वर से शादी कर ली। इसके बाद लाहौर में ज़ोरेश डांस इंस्टीट्यूट और फिर अदाकारी की दुनिया में क़दम : ‘पृथ्वी थिएटर्स’, ‘द ओल्ड विक’, ‘द ब्रिटिश ड्रामा लीग’, ‘बीबीसी टेलीविज़न’, ‘द ज्वेल इन द क्राउन’, ‘टोबा टेक सिंह’, ֹ‘भाजी ऑन द बीच’...

इस सफ़र के दौरान वह 1960 और 1970 के दशक में ब्रिटिश थिएटर के दिग्गजों—सर लॉरेंस ओलिवर, सर टाइरोन गुथरी, फियोना वॉकर, प्रिसिला मॉर्गन और जेम्स कैरी जैसे लोगों से हुई अपनी मुलाक़ातों को याद करती हैं। साथ ही वारिस होसैन के साथ ब्रिटिश टेलीविज़न में अपने शुरुआती दौर का भी ज़िक्र करती हैं।

अपनी यादों की इस बहुत दिलचस्प किताब में ज़ोहरा सहगल देश की महानतम और सबकी चहेती थिएटर, टीवी और फ़िल्म कलाकार के बतौर अपनी ज़िन्दगी के पन्ने उसी ज़िन्दादिली और मज़बूती के साथ खोलती जाती हैं, जैसे वह अपने सारे किरदार निभाती थीं। जैसा कि वह कहती थीं, “मैं जो कुछ भी करती हूँ वह देखनेवालों के लिए होता है!”

ज़ोहरा सहगल को बहुत सारे सम्मान और अवार्ड हासिल हुए जिनमें ‘संगीत नाटक अकादमी अवार्ड’ (1963), इंग्लैंड में बहुसांस्कृतिक फ़िल्म और टेलीविज़न ड्रामा के विकास में अहम योगदान के लिए ‘द नॉर्मन बीटॉन अवार्ड’ (1996), 'पद्मश्री’ (1998), लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए ‘संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप’ (2004) और 'पद्म विभूषण’ (2010) शामिल हैं।

निधन : 10 जुलाई, 2014

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top