शैतान का दावा है कि मेरा रास्ता ही सर्वोपरि कल्याणकारी है। उसका कहना है कि जो जितना ही ईश्वर-भक्त है—सत्य, ज्ञान, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलनेवाला—वह उतना ही दुखी, पीड़ित, त्रस्त और दरिद्र है; लेकिन जो जितना ही मेरे रास्ते पर चलने वाला है, वह उतना ही सुखी और समृद्ध!...और अब, जबकि हर व्यक्ति सुख-समृद्धि के लिए पगलाया घूम रहा है, क्या हमें शैतान की राह पर ही चलना होगा?

सुप्रसिद्ध लेखक, कार्टूनिस्ट और चित्रकार आबिद सुरती की यह बहुचर्चित व्यंग्य-कृति, जिसे

उन्होंने शैतान की रचना कहा है, बहुत ही अनूठे तरीक़े से हमारी आज की दुनिया पर शैतानी गिरफ़्त का प्रमाण पेश करती है। इससे गुज़रते हुए हम न सिर्फ़ मानव-सभ्यता के पुराकालीन जीवनादर्शों के छद्म को उजागर होता हुआ देखते हैं, बल्कि अपने नग्न और मूल्यहीन वर्तमान को भी आश्चर्यजनक ढंग से पहचान जाते हैं। वस्तुतः यह किताब ‘काली’ ही इसलिए है कि इसका हर पन्ना हमारी परम्परागत दृष्टि को अपनी उज्ज्वल चमक से चौंधियाने की ताक़त रखता है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1989
Edition Year 2009, Ed. 2nd
Pages 88p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 0.5
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Author: Abid Surti

आबिद सुरती

जन्मतिथि : 5 मई, 1935; राजुला (सौराष्ट्र)।

शिक्षा : एस.एस-सी. बम्बई। इसके बाद सर जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट, मुम्बई में कला-अध्ययन।

एक लेखक, चित्रकार और कार्टूनिस्ट के रूप में प्रख्यात। पिछले तीस वर्षों से हिन्दी एवं गुजराती की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेखन। रेडियो और मुम्बई दूरदर्शन के लिए नाट्य लेखन। इन दिनों फ़िल्म पटकथा-लेखन का भी कार्य। मुम्बई दूरदर्शन द्वारा तीन उपन्यासों पर टेलीफ़िल्मों का निर्माण। दिल्ली दूरदर्शन से एक कहानी कार्यक्रम में ‘तीसरी आँख’ नामक कहानी का प्रसारण। ‘राधे-राधे हम सब आधे’ शीर्षक नाटक का लेखन एवं निर्देशन। फ़िल्म सर्टिफ़िकेशन बोर्ड, फ़िल्म राइटर्स एसोसिएशन और एसोसिएशन ऑफ़ राइटर्स एंड इलस्ट्रेटर्स फ़ॉर चिल्ड्रेन, दिल्ली के सदस्य। वर्षों तक ‘धर्मयुग’ के अत्यन्त लोकप्रिय कार्टून स्ट्रिप ‘डब्बूजी’ का निरन्तर चित्रांकन एवं लेखन।

अब तक पच्चीस उपन्यास, दो कहानी-संग्रह, तीन नाटक, एक यात्रा-वृत्तान्त, दो बालोपयोगी पुस्तकें और क़रीब बारह, कार्टून-संग्रह प्रकाशित। इन पुस्तकों में से ज़्यादातर का मराठी, हिन्दी अंग्रेज़ी, कन्नड़, मलयालम, तेलुगू, ओड़िया, उर्दू और पंजाबी सहित अन्य कई प्रादेशिक भाषाओँ में अनुवाद।

एक चित्रकार के रूप में आबिद सुरती अपनी कलाकृतियों की अनेक प्रदर्शनियाँ आयोजित कर चुके हैं। चित्रकला में उनके प्रयोगों पर भारत सरकार के फ़िल्म प्रभाग ने ‘आबिद’ शीर्षक से एक रंगीन फ़िल्म भी बनाई थी। इस पुस्तक के आवरण पर आबिद सुरती की ही चित्रकृति दी गई है।

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