Kala Ka Rasta

Culture,Art
Author: Vinod Bhardwaj
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Kala Ka Rasta

‘कला का रास्ता’ में सुपरिचित हिन्दी कवि, कला और फ़िल्म लेखक विनोद भारद्वाज की विगत वर्षों में अख़बारों और पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखी गई टिप्पणियों का एक प्रतिनिधि चयन है। ज़ाहिर है, ये टिप्पणियाँ किसी ख़बर, घटना, प्रदर्शनी आदि से जुड़ी हैं। पर इन्हें पढ़ते हुए आधुनिक भारतीय कला के कुछ नए-पुराने नामों के बारे में कई तरह की आत्मीय जानकारियाँ मिलती हैं।

2007-2010 के समय में भारतीय कला बाज़ार ने ऊँचाई भी पकड़ी। और विश्व आर्थिक मन्दी ने उसके लगभग अतियथार्थवादी विकास पर ब्रेक भी लगा दी। इस पुस्तक में विभिन्न प्रसंगों में सूजा, हिम्मत शाह, मनजीत बावा, हुसेन, सुबोध गुप्ता आदि चर्चित भारतीय आधुनिक कलाकारों के दिलचस्प निजी संस्मरण भी हैं। पश्चिम के महान आधुनिक कलाकार पिकासो पर भी इस पुस्तक में दुर्लभ सामग्री है। उल्लेखनीय है कि हुसेन और सूजा दोनों ही पिकासो से प्रभावित रहे हैं।

विनोद भारद्वाज ने 1970 में एम.ए. मनोविज्ञान की पढ़ाई के दौरान बहुचर्चित कवि और तत्कालीन साप्ताहिक ‘दिनमान’ के सम्पादक रघुवीर सहाय की प्रेरणा और सहयोग से कला प्रदर्शनियों और कला-पुस्तकों आदि पर लिखना शुरू किया था। रघुवीर सहाय कविता में बोलचाल की भाषा के पक्षधर थे। शुरू में वह बच्चन से इसी कारण प्रभावित भी हुए थे। विनोद भारद्वाज के कला-लेखन की शुरू से ही एक ख़ास पहचान बोलचाल की भाषा है।

अकादेमिक आडम्बर से वह दूर रहते हैं। कला-लेखन या समीक्षा में वह कविता लिखने के पक्ष में नहीं रहे हैं। अख़बार की ज़रूरतों के कारण कहीं-कहीं कुछ टिप्पणियों में दोहराव पाठकों को मिलेगा, पर यह पुस्तक उन्हें कला के एक दूसरे और लम्बे रास्ते में ले जाएगी। इस रास्ते में रहस्य और रोमांच भी है। कला की दस्तावेज़ी दुर्लभ जानकारियाँ भी हैं। अमृता शेरगिल, नागजी पटेल, परमजीत सिंह, मनजीत बावा, रवीन्द्रनाथ, हुसेन, सूजा, कृष्ण खन्ना, तैयब मेहता, सुबोध गुप्ता, विकास भट्टाचार्य, संजय भट्टाचार्य, सुदीप राय, दरोज, मनीष पुष्कले, किशोर शिंदे, यूसुफ आदि नए-पुराने कलाकारों पर कई दस्तावेज़ी जानकारियाँ इस पुस्तक में संकलित हैं। साथ में हैं आज की कला के अनगिनत ज़रूरी सवाल और सन्दर्भ।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Editorial Review

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Vinod Bhardwaj

Author: Vinod Bhardwaj

विनोद भारद्वाज

जन्म : 1948 लखनऊ में।

विनोद भारद्वाज ने लखनऊ विश्वविद्यालय से 1971 में मनोविज्ञान में एम.ए. के बाद टाइम्स ऑफ़ इंडिया के हिन्दी प्रकाशनों में पत्रकारिता शुरू की। वहाँ 25 सालों की नौकरी में धर्मयुग, दिनमान और नवभारत टाइम्स सरीखे प्रकाशनों में फ़िल्म, कला, संस्कृति, साहित्य आदि पर नियमित लिखा। 1967-69 में कविता-कला की लघु पत्रिका ‘आरम्भ’ का सम्पादन किया। 1981 में उन्हें कविता के लिए भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार और सर्जनात्मक लेखन के लिए प्रतिष्ठित संस्कृति पुरस्कार मिला। 1989 में उन्हें लेनिनग्राद (तत्कालीन सोवियत संघ) के पहले अन्तरराष्ट्रीय ग़ैर कथा फ़िल्म महोत्सव की ज्यूरी का सदस्य चुना गया। ‘जलता मकान’, ‘होशियारपुर’ (कविता-संग्रह); ‘नया सिनेमा’, ‘समय और सिनेमा’, ‘सिनेमा : कल, आज, कल’ (फ़िल्म पर पुस्तकें); ‘समकालीन भारतीय कला : एक अन्तरंग अध्ययन’, ‘कला के सवाल’, ‘कला-चित्रकला’, ‘वृहद आधुनिक कला कोश’, ‘रामचन्द्रन कला संसार’ (कला पर पुस्तकें); ‘चितेरी’ (कहानी-संग्रह); ‘समय सच्चाई और सपने’ (टिप्पणियाँ और स्तम्भ) और ‘संस्कृति संवाद’ (भेंटवार्ताएँ) आदि विनोद भारद्वाज के प्रमुख प्रकाशन हैं। धूमीमल गैलरी के सूजा के विशाल संग्रह के कैटलॉग (अंग्रेज़ी) का उन्होंने सम्पादन भी किया है। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, विदेश मंत्रालय, यू.जी.सी., दूरदर्शन और धलिमल गैलरी आदि के लिए वह तीस से अधिक कला फ़िल्मों के सब्जेक्ट एक्सपर्ट रह चुके हैं। ललित कला अकादेमी की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर उन्होंने ‘आर्ट इन सिनेमा’ नाम के चर्चित कार्यक्रम को क्यूरेट किया, ‘समकालीन कला’ के दो अंकों का अतिथि सम्पादन किया और ‘कलाएँ आसपास’ पुस्तक का सम्पादन किया।

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