Kala Jal

Author: Shani
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Kala Jal
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‘काला जल’ भारतीय मुस्लिम समाज के अन्‍दरूनी यथार्थ को उसकी पूरी विडम्‍बना और विभीषिका के साथ जिस सूक्ष्मता से पेश करता है वह हिन्दी उपन्यास में इससे पहले सम्भव नहीं हुआ था।

एक परिवार की तीन पीढ़ियों के निरन्‍तर टूटते और ढहते जाने की यह कहानी न केवल आम मुस्लिमों की अवरुद्ध ज़िन्‍दगी पर रोशनी डालती है बल्कि उस मूल्य व्यवस्था को भी उजागर करती है जो इस त्रासद स्थिति के लिए ज़िम्मेवार है।

मुस्लिम समाज को लेकर सुनी-सुनाई धारणाओं से इतर यह उपन्यास जिस सचाई का साक्षात्कार कराता है वह हतप्रभ करता है, साथ ही अपने एक अभिन्न अंग के प्रति शेष भारतीय समाज के गहरे अपरिचय की कलई भी खोलता है।

ऐसा नहीं कि अपने बन्‍द दायरे में घुटते-टूटते, इस उपन्यास के किरदारों में कोई इस जकड़न को तोड़ने की कोशिश नहीं करता। लेकिन वह अपनों के बीच ही अकेला पड़ जाता है। नतीजतन इस जमे हुए काले जल में कई बार हलचल होने के बावजूद उसकी सड़ाँध दूर नहीं होती। इस तरह यह उपन्यास बतलाता है कि काला जल सिर्फ वही नहीं है जो किसी एक ताल में सड़ रहा है और जिसकी दुर्गन्‍ध का अजगर पूरी बस्ती को लपेट रहा है—यह वह जीवन-प्रणाली भी है जिसमें अमानवीय और प्रगतिविरोधी मानों और मूल्यों की असहनीय सड़ाँध ठहरी हुई है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2021
Edition Year 2023, Ed. 9th
Pages 296p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Shani

Author: Shani

शानी

जन्म : 16 मई, 1933; जगदलपुर (मध्य प्रदेश)।

पूरा नाम : गुलशेर ख़ान ‘शानी’। समकालीन कथाकारों में विशेष रूप से समादृत।

शिक्षा पूरी करने के बाद वर्षों तक मध्य प्रदेश शासन के अन्तर्गत कार्य। मध्य प्रदेश साहित्य परिषद, भोपाल के सचिव पद पर रहे। ‘साक्षात्कार’ के संस्थापक-सम्पादक। तत्पश्चात् दिल्ली आकर ‘नवभारत टाइम्स’ में सहायक सम्पादक रहे। बाद में ‘साहित्य अकादेमी’, नई दिल्ली से सम्बद्ध। अकादेमी से प्रकाशित ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ के संस्थापक-सम्पादक।

अनेक भारतीय भाषाओं के अलावा रूसी तथा लिथुवानी भाषा में रचनाएँ अनूदित।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘साँप और सीढ़ी’, ‘फूल तोड़ना मना है’, ‘एक लडक़ी की डायरी’, ‘काला जल’ (उपन्यास); ‘बबूल की छाँव’, ‘डाली नहीं फूलती’, ‘छोटे घेरे का विद्रोह’, ‘एक-से मकानों का नगर’, ‘युद्ध’, ‘शर्त का क्या हुआ?’, ‘बिरादरी’, ‘सडक़ पार करते हुए’ (कहानी-संग्रह) तथा ‘शालवनों का द्वीप’ (संस्मरण)।

निधन : 10 फरवरी, 1995

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