Kabir Ka Yugpath

Author: Jaipal Singh
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Kabir Ka Yugpath
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अपने समय में कबीर जनमानस को समझा रहे थे कि पाहन पूजने वाली दुनिया अपने घर की चक्की नहीं पूजती, जिसका पीसा खाती है। तब से लेकर आज तक कबीर के शब्द भारतीय मानस में गूँज रहे हैं। फिर भी दुनिया का पागलपन पहले से ज्यादा बढ़ गया। हमारे समाज में ज्यों-ज्यों अंधविश्वास, मिथ्या आडंबर, रूढ़ियाँ और लंपटता बढ़ती जा रही है, त्यों-त्यों कबीर और अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं। जिस संसार को कबीर ने ‘दुनिया ऐसी बावरी’ कहा था, उसमें अब चतुर्दिक्, झूठ का ही बोलबाला है। झूठ ने अपने मिथ्या प्रवाद से सच का मुँह बंद कर दिया है। पूरे संसार में लोकतांत्रिक-मूल्यों का क्षरण हो रहा है। पर आज उनके विपक्ष में खड़ा कबीर-जैसा कोई कवि नहीं है।

भारतीय समाज की बहुसंख्यक जनता कबीर की कृतज्ञ है कि उन्होंने अपनी कविता से हजारों सालों से लोगों के मन पर लदा शास्त्रों के बुद्धि-विलास, परंपरा की जड़ता, अंधविश्वास, अतार्किकता, रूढ़ियों और असत्य धारणाओं का जो बोझ था, उससे निर्भार कर दिया। कबीर ने जनता को शास्त्र नहीं, कविता से शिक्षित किया, साधुता को श्रम से जोड़ा और भिक्षा से मुक्त किया। हजारों वर्ष बीत गए, हमारा अभिजात वर्ग आज भी श्रम को हेय दृष्टि से देखता है। कबीर ने अपनी चादर खुद बुनी और सिद्ध कर दिया कि दूसरे की बुनी चादर ओढ़कर कबीर नहीं बना जा सकता।

‘कबीर का युगपथ’ पुस्तक का प्रणयन जयपाल सिंह ने इसी भाव से किया है। देश की अग्रणी पंक्ति के विद्वानों ने इसमें भागीदारी की है। प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह से लेकर प्रो. ए. अरविन्दाक्षन जैसे दो दर्जन विद्वानों ने इस पुस्तक में अपने विचार प्रकट किए हैं। जयपाल ने इस पुस्तक के लिए अथक श्रम किया है, मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक कबीर के अध्येताओं और बृहत्तर भारतीय समाज में प्रशंसित होगी।

—दिनेश कुशवाहा, सुप्रसिद्ध कवि

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 272p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Author: Jaipal Singh

डॉ. जयपाल सिंह

डॉ. जयपाल सिंह का जन्म दुरती, सरगुजा, छत्तीसगढ़ में हुआ। प्राथमिक शिक्षा गाँव मरहठा के शासकीय विद्यालय से। हिन्दी में एम. फ़िल. और पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त।

छत्तीसगढ़ के विभिन्न शासकीय महाविद्यालयों में अध्यायपन किया। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया। पंडित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़, बिलासपुर के हिन्दी विभाग के स्थापना विभागाध्यक्ष रहे। 

उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘प्रगतिवादी कथा-लेखन और मार्कण्डेय’, ‘हिन्दी भाषा (तीन खण्ड), ‘कबीर का युगपथ’। ‘अनुवाद की सैद्धांतिकी’, ‘अनुसंधान प्रविधि एवं प्रक्रिया’ उनकी शीघ्र प्रकाश्य पुस्तकें हैं।

सम्प्रति : हिन्दी विभाग, पंडित सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़, बिलासपुर।

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