प्रस्तुत संकलन जापानी फंतासी की आधुनिक परिकल्पनाओं का सशक्त संग्रह है। मियाज़ावा केन्जी की दो रचनाएँ—‘अनन्त फ़रमाइशों का भोजनालय’ और ‘वनबिलाव’ दो अलग–अलग प्रसंगों का प्रभावशाली चित्रण है।

मिमेई और नावाको की रचनाओं में जहाँ अलौकिक तत्त्व है, वहीं प्राकृतिक सम्पदाओं के अनुचित दोहन से पैदा हुई समस्याओं पर सघन विमर्श भी है। युद्ध के सन्दर्भ में दुश्मन राज्यों के दो सैनिकों के बीच स्थापित दोस्ती की कहानी ‘जंगली गुलाब’ भावनाओं के कई तारों को एक साथ अंकुरित करती है और साथ ही युद्ध के प्रति वितृष्णा पैदा करती है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 92p
Translator Unita Sachchidanand
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Ogawa Mimei

ओगावा मिमेई

ओगावा मिमेई का जन्म 7 अप्रैल, 1882 में नीईगाता प्रान्त के ताकाकी गाँव में हुआ। समाज में बुराई और पक्षपात को सह नहीं पाते थे। उनका मन स्वार्थपरायणता को देख उद्विग्न हो विरोध करने लगता।

मिमेई का मानना था कि मानव विकास के लिए प्राकृतिक सौन्दर्य के विनाश को ज़्यादा दिनों तक टाला नहीं जा सकता। धरती पर बदलाव तो आना ही है।

उनकी कहानियों में प्रकृति, दन्तकथा तथा परी-कथाओं का मिश्रण है। मिमेई ने कई उपन्यास, कहानियों एवं कविताओं की रचना की।

उनकी रचनाओं में कमज़ोर के प्रति दया, सहानुभूति, ग़रीबों के प्रति संवेदना और हमदर्दी, पक्षपात के प्रति ग़ुस्सा, न्याय एवं नेक चीज़ों को अपनाने, लागू करने की हिम्मत, सुन्दरता से लगाव, आज़ादी का सम्मान एवं नवीन युग के निर्माण की आकांक्षा के भाव कूट-कूटकर भरे हैं।

सन् 1951 में इन्हें जापान के ‘साहित्य कला अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

निधन : सन् 1961

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