Jo Aman Mili To Kahan Mili

Author: Mohd. Aleem
Edition: 2023, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Jo Aman Mili To Kahan Mili

‘जो अमाँ मिली तो कहाँ मिली’ उपन्यास में बिहार के एक गाँव के लुहार परिवार की ख़स्ताहाल होती जा रही ज़िन्दगी का मर्मस्पर्शी चित्रण है। यह उपन्यास एक ऐसी तस्वीर की तरह है, जिसमें यथार्थ के विभिन्न रंग सोच-समझकर और संवेदना के साथ भरे गए हैं।

बदलती हुई सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियाँ, उन्हीं के बीच उभरनेवाले साम्प्रदायिक तनाव, और अन्य सामाजिक प्रश्न उपन्यास में इस तरह पिरोये गए हैं कि लेखक की मानवीय दृष्टि से हमारा बार-बार साक्षात्कार होता है और हम उसकी संवेदनशील निगाह से क़ायल हो जाते हैं।

मो. अलीम के लेखन में यथार्थ को उभारनेवाली नई तरकीबों का इस्तेमाल है। उनकी भाषा में रवानी है और चीज़ों को एक नए कोण से देखने-परखने का सामर्थ्य भी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2004
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 104p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Mohd. Aleem

Author: Mohd. Aleem

मो. अलीम

जन्म : 1971, पूर्वी चम्पारण, बिहार।

शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (हिन्दी), जामिया मिल्लिया इस्लामिया से।

प्रमुख कृतियाँ : ‘जो अमाँ मिली तो कहाँ मिली’, ‘मेरे नालों की गुमशुदा आवाज़’ (उपन्यास), ‘राबिया’ (नाटक), ‘बूढ़ा फ़क़ीर’, ‘एकता का पुल’, ‘लँगड़े की दुकान’ (नवसाक्षर साहित्य)। लगभग एक दर्जन पुस्तकों का हिन्दी तथा अंग्रेज़ी से उर्दू में अनुवाद। टेलीविज़न तथा रेडियो के लिए निरन्तर व्यावसायिक लेखन। कई राष्ट्रीय स्तर की लेखक कार्यशालाओं में भागीदारी।

1998 का साहित्य के लिए ‘संस्कृति पुरस्कार’। उर्दू अकादमी दिल्ली से भी अपने उपन्यास और नाटक के लिए पुरस्कृत। हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा 1989 में ‘नवोदित लेखक’ पुरस्कार।

सम्प्रति : जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिन्दी विभाग में अध्यापन कार्य।

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