प्रख्यात ओड़िया कथाकार ‘गौरहरि दास’ की कहानियाँ पहली नज़र में ही गाँवों के यथार्थपरक चित्रों और यादगार चरित्रों से पाठक को परिचित करा देती हैं। उनकी कहानियों में एक तरफ़ आम बोलचाल की सहज-सरल भाषा है तो दूसरी तरफ़ ओडिशा के भद्रक अंचल का सुवास, लेकिन वे अंचल विशेष के कथाकार नहीं हैं। संग्रह की नामधर्मा रचना 'झूठ का पेड़' हो या अन्य कहानी ‘घर’, वे गाँव को शहर से और शहर को गाँव से जोड़ देती हैं।

ओडिशा के जनजीवन को समग्रता में पेश करते हुए बिना किसी भाषायी या शिल्पगत चमत्कार के गौरहरि ने सृजन के शिखर छुए हैं, लेकिन इसके लिए उन्होंने न तो किसी देशी-विदेशी दर्शन का सहारा लिया, न ही किसी तरह के बौद्धिक तामझाम खड़े किए। जन-संचार माध्यमों से अपनी सम्पृक्ति के चलते वे जानते हैं कि जनधर्मी सृजन के लिए किसी दर्शन या वाद से जुड़ने के बजाय सामान्यजन से सीधे जुड़ना ज़्यादा उचित है; और हम जानते हैं कि गौरहरि देश के बड़े कथाकार-पत्रकार ही नहीं, आमजन के शुभेच्छु भी हैं।

ओडिशा के गाँवों और शहरों की प्राकृतिक सुषमा के साथ वहाँ की जीती-जागती ज़िन्दगी और अमीरी-ग़रीबी का संघर्ष देखना हो तो किसी समाजशास्त्री की पोथी पढ़ने के बजाय गौरहरि की कहानियाँ पढ़ना ज़्यादा उपयोगी होगा, क्योंकि समाज में व्याप्त ऊँच-नीच को चित्रित करते हुए नए-पुराने सामन्तवाद को भी गौरहरि ने प्रश्नाकुल दृष्टि से देखा है। वे अपने समाज की राई-रत्ती जानने के साथ उसे अभिव्यक्त करने की कला में भी पारंगत हैं। उनकी कहानियों में हम भारतीय चेतना के अन्तरंग चित्रों को साक्षात् देखते ही नहीं, महसूस भी करते हैं।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2017
Edition Year 2017, Ed. 1st
Pages 144p
Translator Sushil Dahima
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Gaur Hari Das

Author: Gaur Hari Das

गौरहरि दास

साहित्य अकादेमी के कार्यकारी मंडल के सदस्य रहे गौरहरि दास ओडिशा के समुद्र तटीय जनपद भद्रक के एक गाँव में सन् 1960 में पैदा हुए। साहित्य में पी-एच.डी. और पत्रकारिता में एम.ए. कर ओडिशा की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘कथा’ के सम्पादक, दैनिक ‘संवाद’ के फ़ीचर सम्पादक और ‘संवाद मीडिया संस्थान’ के प्राचार्य हुए।

ओड़िया में इनके सोलह कहानी-संग्रह, पाँच उपन्यास, पाँच निबन्ध-संग्रह, तीन यात्रा-वृत्त और पत्रकारीय लेखन के कई संग्रह छपे हैं। अंग्रेज़ी में ‘लिटिल मंक एंड अदर स्टोरीज़’ तथा ‘कोरापुट एंड अदर स्टोरीज़’ के अलावा हिन्दी में ‘मथुरा का मानचित्र तथा अन्य कहानियाँ’ और ‘दूर आकाश का पंछी’ प्रकाशित हैं।

तीन दशक से ओड़िया पाठकों में अत्यन्त लोकप्रिय स्तम्भ ‘जीवनर जलछवि’ लिख रहे गौरहरि की तमाम रचनाएँ भारतीय भाषाओं में अनूदित हुई हैं। उन्होंने ख़ुद भी यशपाल, कृष्णा सोबती, कुलदीप नैयर, रस्किन बॉण्ड और बेन्जामिन की कृतियों के ओड़िया अनुवाद किए हैं।

बचपन से ही ज़िन्दगी की हक़ीक़त से दो-चार होते रहे गौरहरि के संघर्षमय जीवन की झलक उनकी रचनाओं में यत्र-तत्र दिख जाती है।

अमेरिका, चीन, जर्मनी, इंग्लैंड, फ़्रांस, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड और नीदरलैंड जैसे अनेक देशों की यात्रा कर चुके गौरहरि को ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार’ और ‘ओडिशा साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ के अलावा ‘फकीर मोहन सेनापति पुरस्कार’ भी प्राप्त है।

Email : gourahari60@gmail. com

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