‘जनवासा’ की प्रस्तुति देखकर भूदान के भ्रष्टाचार, स्वयंसेवियों की स्वयं की सेवा और क्रान्तिकारी धारा की पतनशीलता की समकालीनता का दर्शन हुआ। समय के सच पर भारती की अद्भुत पकड़ है।

—अरुण कुमार, ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’, पटना

सच कहा जाए तो ‘जनवासा’ मानवीय संवेदनाओं का एक ऐसा कोलाज है जिसका हर रंग सामाजिक सरोकार के ताने-बाने में समाया है। नाटक नक्सलवादी विचारधाराओं के टकराव, भूदान आन्दोलन, वर्णव्यवस्था की बढ़ती खाई, अन्धविश्वास से मुक्ति के द्वार की खोज और अशिक्षा के बीच सम्भ्रान्त वर्गों की स्वार्थलोलुपता के छद्म रूपों को नग्न करता है। बल्कि समाज की अन्धी सुरंग में रोशनी भी दिखाता है, जैसे अब भी बहुत कुछ समाप्त नहीं हुआ है।

—‘दैनिक जागरण’, पटना

मेहनतकश भारतीय जनमानस में उपजे अनेक प्रश्नों की पृष्ठभूमि में आज की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति का आईना है ‘जनवासा’। इस नाटक में सुधारवादी एवं तथाकथित क्रान्तिकारी, दोनों ही अपनी सूरत पहचान सकते हैं।

—कामरेड डी. प्रकाश

‘जनवासा’ में क्रान्ति और कल्याण की दुकानदारी करनेवालों के असली स्वरूप को उजागर किया गया है। सत्य के पक्ष में खड़ा होने पर कौन मित्र बनेंगे, कौन दुश्मन—इसकी परवाह किए बग़ैर रवीन्द्र भारती ने साहित्यिक ईमानदारी का परिचय दिया है।

—सुरेश भट्ट, एक्टिविस्ट

एक तीख़ा एवं विचारोत्तेजक नाटक है ‘जनवासा’। भाषा, शिल्प, संगीत एवं कथन, उपकथन हृदयग्राही है। बेहद रोचक यह नाटक सिर्फ़ राजनीतिक-सामाजिक स्थितियों की सच्चाई का न सिर्फ़ दर्शन कराता है, बल्कि भारतीय लोक-परम्परा के बहुरंग को भी उजागर करता है। बहुत दिनों के बाद एक बढ़िया प्ले देखने को मिला।

—डॉ. खालिक चौधरी (समाजशास्त्री)

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2005
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 100p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Ravindra Bharti

Author: Ravindra Bharti

रवीन्द्र भारती

आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘जड़ों की आख़िरी पकड़ तक’, ‘धूप के और क़रीब’, ‘यह मेरा ही अंश है’, ‘नचनिया’, ‘नाभिनालऔर जगन्नाथ का घोड़ा’ (कविता-संग्रह); ‘कम्पनी उस्ताद’, ‘फूकन का सुथन्ना’, ‘जनवासा’, ‘अगिन तिरियाऔर कौआहंकनी’ (नाटक)।

उनकी कविताएँ कई भाषाओं में अनूदित हुई हैं। नाटकों के भी अनेक मंचन हुए हैं जिन्हें रंगकर्मियों और दर्शकों, सभी ने सराहा है। कौआहंकनीनाटक पर फिल्म भी बनी है।

सम्मान और पुरस्कार : बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का विशिष्ट साहित्य सेवा सम्मान, दिनकर सम्मान, मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार से सीनियर फेलोशिप।

सम्पर्क : ravinderbharti12@yahoo.com

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